हमारे गांवों को आपने उजड़ते-उजड़ते बचाया, कृषि भूमि वापस दिलायी, कर्जा माफ किया अब हम धान बेच पा रहे है

रायपुर: हमने एक इंच जमीन नहीं छोड़ी थी और मालिकाना हक न होने से न लोन मिलता था, न ही धान बेच पाते थे। आपने हमारे गांवों को उजड़ते-उजड़ते बचाया है। आपके नेतृत्व में सरकार बनी और हमें जमीन का हक वापस मिला और कर्जा भी माफ हो गया। अब हम धान बेच पा रहे है और लोन भी मिल रहा है।

लोहंडीगुड़ा के निजी उद्योग से प्रभावित किसानों ने बडांजी में भेंट-मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए ये बात कही। मुख्यमंत्री
भूपेश बघेल के नेतृत्व में 2018 में सरकार बनी, तो सबसे पहले व प्रमुख निर्णयों में लोहंडीगुड़ा के प्रभावित किसानों को जमीन लौटाया जाना शामिल था। जमीन लौटने की खुशी बयां करते किसान आज बडांजी के भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को धन्यवाद देने पहुंचे थे।

किसानों ने भावुक होकर बताया कि किसान जमीन नहीं देना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी। कई किसानों को जेल जाना पड़ा। बडांजी के किसान हेम भारद्वाज, छिंदगांव के किसान उमेश कश्यप ने मुख्यमंत्री से कहा कि 2018 में आपकी सरकार के गठन के साथ ही जमीन वापस मिलने की घोषणा हुई और फरवरी 2019 में राहुल गांधी जब धुरागांव आये तब उनके हाथों जमीन का पट्टा वापस मिला था।

ऐसे ही एक अन्य कृषक उत्तरा पाणिग्रही ने बताया कि उनका एक लाख का ऋण माफ हुआ है और प्रभावित लगभग एक एकड़ जमीन का पट्टा भी वापस मिला है। उन्होंने मुख्यमंत्री के सम्मान में उनके नाम का ब्रेसलेट भी पहना है। धुरागांव के किसान जयसिंह बघेल ने बताया कि अपने हक की जमीन के लिए लड़ाई लड़ी और इसके लिए मुझे जेल भी जाना पड़ा था। मुझे जमीन वापस मिली, इसके लिए भी धन्यवाद।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बडांजी में भेंट-मुलाकात की शुरुआत ही यह कहते हुए की कि 5 साल पूर्व इसी बरगद की छांव के नीचे मैंने कहा था कि सरकार बनते ही किसानों की जमीन वापस की जाएगी और सरकार बनने के तुरंत बाद हमने किसानों की जमीन वापस कर दी। यह ऐतिहासिक घटना है कि किसी सरकार ने अधिग्रहित हुई भूमि वापस लौटाई हो।

उल्लेखनीय है कि बस्तर क्षेत्र के 10 गांवों के 1707 खातेदार किसानों को उनकी लगभग 1784 हेक्टेयर निजी भूमि वापस लौटायी गई है, जिसके अंतर्गत लोहंडीगुड़ा तहसील के ग्राम छिंदगांव, कुम्हली, धुरागांव, बेलियापाल, बडांजी, दाबपाल, बड़ेपरोदा, बेलर और सिरिसगुड़ा में तथा तहसील तोकापाल के अंतर्गत ग्राम टाकरागुड़ा के किसान शामिल हैं। उक्त गांवों के किसानों की भूमि एक निजी इस्पात संयंत्र के लिए फरवरी 2008 और दिसम्बर 2008 में अधिग्रहित की गई थी, लेकिन संबंधित कंपनी द्वारा वहां उद्योग की स्थापना नहीं की गई।

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