हरिद्वार। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के केंद्रीय मार्गदर्शक मण्डल की दो दिवसीय बैठक के अंतिम दिन रविवार को धर्मान्तरण पर सख्त कानून बनाने, समान नागरिक संहिता लागू करने के विषय सहित चार प्रस्ताव पारित किये गए। यह जानकारी विहिप के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने दी। बैठक के बाद विहिप के महामंत्री मिलिंद परांडे ने संवाददाताओं को बताया कि विहिप केंद्रीय मार्गदर्शक मण्डल की हरिद्वार में चल रही दो दिवसीय बैठक आज संपन्न हुई। उन्होंने कहा कि विहिप की बैठक में कई मुद्दों पर विचार-विमर्श के बाद आज चार प्रस्ताव पारित किये गए। उन्होंने बताया कि इन चार प्रस्तावों मे धर्मान्तरण रोकने के लिए सख़्त कानून बनाने, समान नागरिक संहिता लागू करने, कुटुंब प्रबोधन के माध्यम से देश भर में जन जागरण चलाकर परिवारों को मजबूत बनाने और चौथे प्रस्ताव में देश के सभी मठ-मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग की गयी है।
ख़बरों के अनुसार उन्होंने बताया कि संतों ने देश में कई स्थानों पर जुमे की नमाज के बाद हिंसा और आगजनी की घटनाओं पर बैठक में गहरा आक्रोश व्यक्त किया और इसे एक सोची-समझी साजिश करार दिया। परांडे के अनुसार, ‘‘संतों ने कहा कि जिस तरह से जुमे की नमाज के बाद हिंसा और आगजनी की गयी, उसका जवाब देने में सरकार, पुलिस और समाज पूरी तरह से सक्षम है।’’ उन्होंने बताया कि बैठक में देश भर से आये 200 से अधिक साधु संत शामिल हुए। विहिप नेता ने कहा कि बैठक में ईसाई और इस्लामिक धर्मान्तरण पर भी चिंता व्यक्त की गयी। उन्होंने बताया कि संतों ने केंद्र सरकार से अवैध धर्मान्तरण के खिलाफ कठोर कानून बनाने की मांग की। परांडे के मुताबिक बैठक में वाराणसी के ज्ञानवापी मामले पर भी चर्चा की गयी। बैठक में साधु संतों सहित विहिप के अंतराष्ट्रीय संरक्षक दिनेश, रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय, केंद्रीय मंत्री अशोक तिवारी सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।