रायपुर : उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या की छत्तीसगढ़ के मुस्लिम समाज के प्रमुखों और उलमा (धर्म के ज्ञाता) ने कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कातिलों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह घटना पूरी मानवता को शर्मसार करने वाली है।
बताया गया कि कन्हैया लाल केकातिल पैगंबर के दुश्मन हैं और पूरी इंसानियत के कातिल हैं क्योंकि कुरआन की सूरह अल माइदह में अल्लाह फरमाता है कि ‘जो किसी को कत्ल करे (बिना इसकेकि उसने किसी को कत्ल किया हो अथवा जमीन पर फसाद पैदा किया हो) तो उसने सारी इंसानियत को कत्ल किया और जिसने एक जान को बचाया, तो उसने सारी इंसानियत को बचा लिया” : कुरआन, सूरह अल-माइदह (5:32)। अब किस तरह किसी इंसान के कत्ल को जायज ठहराया जा सकता है। यह सीधे तौर पर कु रआन की शिक्षाओं के खिलाफ है।
इदारा-ए-शरिया इस्लामी कोर्ट रायपुर से काजी-ए-छत्तीसगढ़ अल्लामा सैय्यद रईस अशरफ अशरफी जिलानी, आल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड एवं वर्ल्ड सूफी फोरम के चैयरमैन हजरत सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी और आल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड छत्तीसगढ़ यूनिट के प्रमुख सचिव नौमान अकरम हमीद ने कहा कि जैसा कहा जा रहा है कि जिस इंसान को कत्ल किया गया है, उसने गुस्ताखे रसूल नुपुर शर्मा का समर्थन किया था, जिस कारण वहशी और कट्टर सोच रखने वाले सिरफिरों ने पैगंबर साहब और कुरआन की तालीम को नजरअंदाज कर कानून को अपने हाथ में लिया। एक ऐसा नाकाबिले बर्दाश्त जुर्म किया, जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है। यह सीधे तौर पर नबी से दुश्मनी है, जिसे नबी की मुहब्बत के नाम से किया जा रहा है।
समाज प्रमुखों ने सरकार से इन आरोपितों को सख्त से सख्त सजा दिए जाने की मांग करते हुए यह भी कहा कि सरकार को चाहिए जल्द से जल्द नुपुर शर्मा को भी गिरफ्तार करें ताकि युवाओं को बहकाने की साजिश रचने वाले हमारे प्यारे वतन में अशांति फैलाने की साजिश में कामयाब न होने पाए। दावते इस्लामी का खुद को सदस्य कहने वाले इन वहशी दरिंदों की जांच की जानी चाहिए कि ऐसी दरिंदगी की सोच और शिक्षा उसे किसने दी आखिर कौन हैं वह लोग जो मुल्क के अमन को तबाह करना चाहते हैं।
मुस्लिम समाज केलिए पैगंबर की शान उनकी जान से बढ़कर है और बेशक मुस्लिमों को नुपुर शर्मा की टिप्पणी से गहरा दुख हुआ है, जिससे उनमें आक्रोश है, लेकिन किसी की जान लेने की इजाजत इस्लाम नहीं देता और ऐसा करने वाले खुद नबी के गुस्ताख हैं, क्योंकि उनकी वजह से नबी की तालीम पर अंगुली उठेंगी।
काजी-ए-छत्तीसगढ़ के शहजादे हजरत सैय्यद मोहम्मद अशरफ जिलानी रायपुरी किछौछवी, इदारा-ए-शरिया इस्लामी कोर्ट, विद्यानगर ने कहा कि इंसानियत का कातिल पैगंबर मुहम्मद सलल्लाहों अलैह व सल्लम का पैरोकार नहीं हो सकता। मुझे इस कत्ल पर उसी तरह दुख हुआ, जिस तरह से पहलू खान, तबरेज की लिंचिंग और रांची में नुपुर शर्मा के विरोध में निकाले गए जुलूस पर मुदस्सिर की गोली लगने पर हुआ था। उसी तरह से उदयपुर के मामले में हुआ है।
संजय नगर निवासी समीर अख्तर ने कहा कि मैं उदयपुर की घटना की निंदा करता हूं। टीवी पर धार्मिक बहस के चलते देश का माहौल खराब हो रहा है, इस पर रोक लगनी चाहिए। कानून को हाथ में न लेते हुए संवैधानिक तरीके से अपनी बात कहनी चाहिए और सरकार को भी किसी भी धर्म के खिलाफ टिप्पणी करने वालों पर सख्त कार्रवाई कर उचित सजा देनी चाहिए। इसमें किसी भी प्रकार की देरी नहीं करनी चाहिए।