नई दिल्ली| विपक्ष और मीडिया निकायों ने मंगलवार को ‘ऑल्ट न्यूज’ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी की निंदा की और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की। हालांकि, भाजपा ने कहा कि उनका संदिग्ध अतीत रहा है और उन्होंने ऐसे ट्वीट पोस्ट किए, जो हिंदू समाज के एक बड़े वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करते हैं।
कार्यकर्ताओं के एक समूह ने कहा कि यह सरकार का ‘पूर्ण दिखावा’ है और उनकी गिरफ्तारी उस दिन हुई, जब भारत जी-7 शिखर सम्मेलन में लोकतांत्रिक सिद्धांतों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध था।
फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट के सह-संस्थापक को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने सोमवार को धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए जानबूझकर काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को एक हिंदू देवता के खिलाफ वर्ष 2018 में पोस्ट किए गए ‘आपत्तिजनक ट्वीट’ से संबंधित एक मामले में जुबैर की हिरासत में पूछताछ चार दिन के लिए बढ़ा दी।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में जुबैर की गिरफ्तारी को बेहद परेशान करने वाला बताया और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की। दोनों मीडिया निकायों ने कहा कि जुबैर के खिलाफ कार्रवाई उस दिन हुई, जब भारत जी-7 और चार अन्य देशों के साथ ‘ऑनलाइन और ऑफलाइन’ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा पर चर्चा कर रहा था।
मुंबई प्रेस क्लब ने भी जुबैर की गिरफ्तारी की निंदा की। गिरफ्तारियों की आलोचना करते हुए अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संघ की सदस्य कविता कृष्णन ने आरोप लगाया कि यह प्रधानमंत्री का पूर्ण पाखंड है।
उन्होंने कहा कि वह उन कार्यकर्ताओं और पत्रकारों से बदला लेने का काम कर रहे हैं, जो उनकी पार्टी को जवाबदेह ठहरा रहे हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के बोर्ड के अध्यक्ष आकार पटेल ने कहा कि भारतीय अधिकारी जुबैर को फर्जी खबरों और दुष्प्रचार में वृद्धि का मुकाबला करने के उनके महत्वपूर्ण काम के लिए निशाना बना रहे हैं। जुबैर की गिरफ्तारी और इसके खिलाफ विपक्षी नेताओं के विरोध के बारे में पूछे जाने पर भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि केवल खुद को घोषित करने से कोई तथ्य-जांचकर्ता (फैक्ट चेकर) नहीं बन सकता है।
भाटिया ने कहा कि जुबैर का अतीत संदिग्ध रहा है और उन्होंने ऐसे ट्वीट पोस्ट किए हैं, जिससे हिंदू समाज के एक बड़े वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है। जुबैर की आलोचना करते हुए भाटिया ने कहा कि अगर कोई तथ्य की जांच कर रहा है, तो वह चयनित नहीं हो सकता।
भाटिया ने दावा किया कि अगर वह ऐसी सामग्री पोस्ट करते हैं, जो किसी राजनीतिक दल या समुदाय के अनुकूल हो, तो वह वस्तुनिष्ठ नहीं है। विपक्ष ने जुबैर की गिरफ्तारी की निंदा की और इसके लिए सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधा। कांग्रेस ने कहा कि ‘कायर’ सरकार उन लोगों को संदेश भेज रही है, जो इसकी ‘फर्जी खबर’ का पर्दाफाश करते हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा , ‘‘भाजपा नीत केंद्र सरकार का बड़ा संदेश यह है कि नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों को राजनीतिक संरक्षण मिलेगा और वे जमानत या अन्य तरह से बाहर होंगे और इसकी खबर देने वाले लोग सलाखों के पीछे होंगे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘सच्चाई को उजागर करने की कोशिश’ के लिए जुबैर और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी की गई।
ममता ने आश्चर्य जताया कि समुदायों के बीच नफरत फैलाने वाले लोग खुले घूम रहे हैं। प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मंगलवार को ‘ऑल्ट न्यूज’ के सह-संस्थापक की गिरफ्तारी को भेदभावपूर्ण करार दिया और मांग की कि सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की प्रतिष्ठा का सम्मान करने वाले मामले में ‘निष्पक्ष कार्रवाई’ करे।
एक दिन की हिरासत की अवधि समाप्त होने पर जुबैर को अदालत में पेश किया गया। पुलिस ने अदालत को बताया कि आरोपी ने जांच एजेंसी के साथ सहयोग नहीं किया और जिस उपकरण से आरोपी ने ट्वीट किया था, उसके बारे में जानकारी जुटाने के लिए हिरासत में पूछताछ की जरूरत है।
जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर कहा कि कानून की प्रवर्तक एजेंसियों के कामकाज की ‘भेदभावपूर्ण प्रकृति’ निंदनीय है।