रायपुर : निर्माण कार्य सहज विकास क्रम का सदैव हिस्सा रहा है परंतु किसी क्षेत्र में स्थानीय आम जनता अपना सबकुछ दांव में लगा कर अपने सुनहरे भविष्य को सँवारने किसी तरह का निर्माणकार्य करवाए और सम्बंधित जिम्मेदार प्रशासन से जुड़े लोगों द्वारा सहयोग करने के बजाय इस तरह की मनमानी कार्यवाही चल रहे निर्माण कार्य और जनता पर किया जाये जिससे जनता परेशान हो जाये तो क्या यह ज्यादती या मनमानी नहीं है..?
दरअसल राजधानी रायपुर नगर निगम के अंतर्गत मकान व दुकान जैसे निर्माण कार्य करा रहे आम जनता को इन दिनों इसी तरह के परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.? मिल रही शिकायत में एक शिकायतकर्ता ने बिना किसी शिकायत और सूचना के बिना कार्यवाही का आरोप लगाते हुए सवाल उठाया है उनका कहना है कि उसके द्वारा रानी लक्ष्मीबाई वार्ड क्रमांक 10 में व निगम अंतर्गत जोन-3 के अन्दर आने वाले क्षेत्र में दूकान का निर्माण कार्य कराया जा रहा था इस बीच बिना नोटिस के निगम द्वारा उनके सामान को जो निर्माण कार्य मे लगे थे जप्ती बनाया जा रहा है।
इस विषय में शिकायतकर्ता का आरोप है कि उन्हें अपने निर्माण कार्य को लेकर ना किसी से किसी भी तरह की शिकायत मिली है और ना ही उन्हें किसी तरह की नोटिस दी गई बस एकाएक जब उनके दूकान का निर्माण कार्य चल रहा था तब निगम अंतर्गत जोन अधिकारी शेखर सिंह और उनकी टीम वहां पहुँची एवं उनके द्वारा निर्माण कार्य मे प्रयुक्त रेती, गिट्टी व राज मिस्त्री के सामान घमेला,रापा जैसे सामानों को जप्ती की कार्यवाही की गई इसे क्या उचित कहा जाए?
अब इस तरह के शिकायत को लेकर सवाल यह उठ रहा है कि क्या इस तरह के कार्यवाही से पहले निर्माणकार्य करवा रहे उक्तशिकायतकर्ता को किसी तरह की जानकारी या औपचारिक सूचना दी गई या फिर क्या इस तरह के कार्यवाही से पहले जनता को किसी तरह की सूचना देने का कोई प्रावधान भी है या नही है बहरहाल जोन अधिकारी शेखर सिंह और उनकी टीम पर शिकायतकर्ता द्वारा लगाया गया आरोप व उठाया गया सवाल कितना सच है यह तो अभी भविष्य के गर्भ में है पर अगर इस तरह की कार्यवाही को लेकर कोई कायदा है तो उसे जनता के जानकारी में तो होना चाहिए वहीं यह देखना भी अब दिलचस्प होगा कि अगर यह मनमानी पूर्ण कार्यवाही है तो इसके पीछे आखिर कौन है जिसके चलते जिम्मेदार इस तरह मनमानियों पर उतारू है?