नई दिल्ली : विपक्ष के राष्ट्रपति कैंडिडेट यशवंत सिन्हा ने चुनाव प्रचार के दौरान बड़ा ऐलान किया है। बुधवार को असम दौरे पर पहुंचे सिन्हा ने कहा कि अगर मैं राष्ट्रपति भवन पहुंचा, तो मोदी सरकार का CAA-NRC कानून लागू नहीं होने दूंगा।
सिन्हा ने आगे कहा कि देश में संविधान पर आक्रमण किया जा रहा है। संविधान को बाहरी ताकतों से नहीं बल्कि सत्ता में बैठे लोगों से खतरा है। इसे रोकने के लिए सबको आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि मैं अंतिम सांस तक CAA-NRC कानून के खिलाफ लड़ूंगा।
CAA कानून को लेकर राष्ट्रपति कैंडिडेट सिन्हा ने कहा कि यह मूर्खतापूर्ण तरीके से लागू किया गया है। सरकार इसी वजह से लागू नहीं कर पा रही है और सिर्फ बहाना दे रही है। सिन्हा ने कहा कि असम और पूर्वोत्तर भारत के लिए यह एक अहम मुद्दा है और मुझे उम्मीद है सभी समझेंगे।
एक सवाल के जवाब में सिन्हा ने कहा कि उद्धव ठाकरे शिवसेना को बचाने में जुटे हैं। इसलिए उन्होंने द्रौपदी मुर्मू को सपोर्ट किया है। ममता बनर्जी को लेकर उन्होंने कहा कि उनका पूरा सपोर्ट है और वोटिंग के दिन सब दिख जाएगा।
किसी कानून के नियम 6 माह के भीतर प्रकाशित हो जाने चाहिए ताकि उस कानून पर अमल हो सके। सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानी सीएए संसद से 11 दिसम्बर, 2019 को पारित हुआ। अधिनियम 10 जनवरी 2020 को लागू हो गया। लेकिन इसके नियम तय नहीं किए गए।
नियम तय करने के लिए केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2020, फरवरी 2021 और मई 2021 में संसद की सबोर्डिनेट लेजिसलेशन कमेटियों से एक्सटेंशन मांगे। हालांकि, इसी साल मई में गृह मंत्री अमित शाह ने ऐलान किया कि कोरोना खत्म होने के बाद लागू किया जाएगा।
जानिए CAA कानून क्या है और इसका विरोध क्यों हो रहा है?
CAA के तहत पाक, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। जो 31 दिसंबर 2014 से पहले आ गए हैं, उन्हें नागरिकता मिलेगी। नागरिकता पाने के लिए अब 11 साल रहने के नियम में भी ढील दी गई है।