प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना :मत्स्य पालन उद्यमियों की दशा और दिशा बदलेगी

रायपुर 03 अगस्त 2022 : छत्तीसगढ़ राज्य में मछली पालन एक लोकप्रिय व्यवसाय है जिसमें अपेक्षाकृत कम समय और कम लागत में पर्याप्त आमदनी प्राप्त होती है। राज्य में उपलब्ध जल संसाधन की दृष्टि से मछली पालन का एक विशिष्ट स्थान है एवं मछली पालन रोजगार का एक प्रमुख साधन बना हुआ है। इसी तारतम्य में आज न्यू सर्किट हाउस सिविल लाइन में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत मत्स्य पालन उद्यमियों की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

ज्ञात हो कि केन्द्र एवं राज्य शासन द्वारा मछली पालन व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही है। भारत शासन द्वारा मात्स्यिकी क्षेत्र की क्षमता को साकार करने की दिशा में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना वर्ष 2020-21 से लागू की गई, ताकि अन्तर्देशीय मत्स्य पालन एवं पोस्टहार्वेस्ट प्रबंधन से व्यापक क्षेत्रों में किसानों की आय को दोगुना किया जा सके। उक्त योजना में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति एवं महिला वर्ग को 60 प्रतिशत् एवं सामान्य वर्ग किसानों को 40 प्रतिशत अनुदान दिये जाने का प्रावधान है। योजना में मात्स्यिकी क्षेत्र में गठित समितियां, समूह एवं मछुवा, मत्स्य विक्रेताओं, उद्यमियों, कम्पनियों एवं सभी वर्ग के किसानों को मछली पालन अपनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य, मात्स्यिकी क्षमता का समुचित दोहन, मछली उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि, मूल्य श्रृंखला का आधुनिकीकरण, पोस्ट हार्वेस्ट प्रबंधन एवं गुणवत्ता में सुधार, मछुवारों एवं मछली किसानों की आय को दुगुना करना, रोजगार की उपलब्धता, कृषि सकल घरेलू उत्पाद एवं निर्यात में योगदान बढ़ाना, मछुवारों एवं मछली किसानों के सामाजिक, शारीरिक एवं आर्थिक सुरक्षा के साथ ही मजबूत मात्स्यिकी प्रबंधन एवं नियामक ढ़ाचा का विकास करना है।

कार्यशाला में बताया गया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत छत्तीसगढ़ राज्य में उपलब्ध संपूर्ण जलक्षेत्र को मत्स्य पालन अंतर्गत लाते हुए मत्स्य उत्पादकता में वृद्धि करना है। इसके साथ ही गुणवत्तायुक्त मत्स्य बीज उत्पादन एवं मत्स्य उत्पादन में सशक्त होना है। जिससे राज्य के जनसमान्य को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीनयुक्त सुपाच्य भोजन उपलब्ध हो सके। राज्य में मछली पालन को कृषि के अनुरूप विद्युत दर सिंचाई दर एवं संस्थागत ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।

किसानों के क्रेडिट कार्ड सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे छत्तीसगढ़ के मत्स्य पालकों के उत्पादन लागत में बहुत कमी आई है एवं आमदनी में वृद्धि हो रही है। प्रदेश में मछली पालन के लिए 2 लाख हेक्टेयर से अधिक जलक्षेत्र उपलब्ध है, मत्स्य बीज उत्पादन हेतु 86 हेचरी, 59 मत्स्य बीज प्रक्षेत्र 647.00 हेक्टेयर संवर्धन पोखर उपलब्ध है। जहाँ उन्नत प्रजाति के 330 करोड़ मछली बीज फ्राई का उत्पादन किया जा रहा है।

वर्तमान में राज्य की आवश्यकता 143 करोड की पूर्ति के बाद शेष 187 करोड़ मछली बीज अन्य राज्यों को निर्यात किया जा रहा है। इस प्रकार राज्य मछली बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुका है। पूरे देश में मत्स्य बीज उत्पादन के क्षेत्र में पाचवें स्थान पर है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना लागू होने से पंगेशियस व मोनोसेक्स, तिलापिया जैसे मछलियों का पालन एवं जलाशयों में केज कल्चर कर सीमित जल संसाधन में अधिक मत्स्य उत्पादन प्राप्त करने में सहायता प्राप्त हुई है।

वर्तमान में 6 लाख मेट्रिक टन मत्स्य उत्पादन प्राप्त किया जा रहा है, एवं पूरे देश में मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में छठवें स्थान पर है। राज्य का प्रति हेक्टेयर औसत मत्स्य उत्पादन ग्रामीण तालाबों का 4017 कि.ग्रा. एवं सिंचाई जलाशयों को 240 कि.ग्रा. उत्पादन लिया जा रहा है जो देश के औसत उत्पादन से हमारा प्रदेश आगे है। कांकेर जिलें के कोयलीबेड़ा विकासखण्ड में मछली पालन की कलस्टर आधारित खेती विकसित हो रही है। जहाँ 3 हजार से अधिक किसान लाभान्वित हो रहे है।

राज्य में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 850 हेक्टेयर नवीन तालाब निर्माण, 10 नवीन हैचरी निर्माण एवं 4 फीड मिल निर्माण, 175 हेक्टेयर संवर्धन पोखर निर्माण, 39 रंगीन मछली पालन इकाई, 3 आर. ए. एस., 175 बायोफ्लॉक, 4 प्रशितित वाहन, 350 मोटर सायकल सह आईस बॉक्स, 20 तीन पहिया वाहन, 35 जीवित मछली विक्रय केन्द्र, 2 कोल्ड स्टोरेज, 2 हजार केज की स्थापना के साथ योजना से 11687 हितग्राही अभी तक लाभान्वित हो चुके है। राज्य में मछली पालन में संलग्न 2 लाख 21 हजार हितग्राहियों को दुर्घटना बीमा योजना से लाभान्वित किया जा रहा है एवं प्रतिवर्ष 352 लाख मानव दिवस रोजगार सृजित किये जा रहे है।

योजना क्रियान्वयन से राज्य में मात्स्यिकी के क्षेत्र के साथ-साथ मछुवारों के आर्थिक सामाजिक एवं वित्तीय परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव हो रहे है। आगामी 10 से 15 वर्षाे में वर्तमान मत्स्य उत्पादकता में 20 प्रतिशत की वृद्धि एवं गुणवत्तायुक्त, शुद्ध मत्स्य बीज उत्पादन, मत्स्य उत्पादन में राज्य पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर होते हुए अर्न्तराष्ट्रीय एवं अर्न्तराज्यीय बाजारों में निर्यात करना है। इस प्रकार प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के क्रियान्वयन से छत्तीसगढ़ राज्य के किसानों की दशा एवं दिशा बदल रही है एवं आर्थिक रूप से सक्षम होने के साथ किसानों के आत्मनिर्भता की राह आसान हो रही है ।

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