दिल्ली के कंझावला में नए साल के पहले ही दिन लड़की के साथ हुई दरिंदगी के मामले में चश्मदीद का बयान सामने आया है। लाडपुर गांव में डेयरी मालिक दीपक दहिया ने घटना की आंखों देखी बयां की है। दीपक ने बताया कि वह हर दिन तड़के करीब 2.30 बजे दूध के डिब्बों को उतारने के लिए अपनी दुकान पर पहुंचते हैं। रोज की तरह 1 जनवरी को दहिया लगभग तड़के सुबह 3:15 बजे अपनी दुकान के बाहर खड़े थे, जब उन्होंने एक कार को गुजरते हुए देखा। कार में से ऐसे आवाज आ रही थी जैसे उसका टायर फट गया हो।
डेयरी मालिक दीपक ने बताया कि जैसे ही उन्होंने मुड़कर मारुति सुजुकी बलेनो को देखा, कुछ सही नहीं लगा। ध्यान से देखने पर उन्होंने बाएं टायरों के बीच में लड़की की बॉडी फंसी हुई दिखी। कार स्लो स्पीड में आगे जा रही थी। दीपक ने दावा किया है कि कार बमुश्किल से 20 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी, इसलिए मैं स्पष्ट रूप से देख सकता था कि क्या हुआ है।
दीपक ने बताया कि कार को देखने के तुरंत बाद उन्होंने पुलिस को फोन किया और उन्हें कुछ मिनटों में वापस कॉल करने के लिए कहा गया। कार में लगभग चार-पांच लोग थे और मुझे नहीं पता था कि वे कितने खतरनाक हो सकते हैं। फोन करने के करीब 10 मिनट बाद 3:30 बजे कार फिर से यू-टर्न लेकर उनकी दुकान को पार कर वापस लौट गई। इसके बाद दीपक ने अपनी इलेक्ट्रिक स्कूटी से कार का पीछा करना शुरू किया। दीपक ने बताया, “जैसे ही मैंने उनका पीछा करना शुरू किया, मुझे एहसास हुआ कि वे बहुत धीमी गति से गाड़ी चला रहे थे और बॉडी अभी भी कार में फंसी हुई थी। यह विश्वास करना मुश्किल है कि उन्हें नहीं पता था कि उनकी कार के नीचे कुछ फंसा है। इस बीच मैं पुलिस को करीब-करीब मिनट-दर-मिनट अपडेट दे रहा था। मैं उन्हें अगले 45 मिनट में 18-20 बार कॉल करता रहा, जिनमें से एक कॉल 10 मिनट से ज्यादा चली।”
गाड़ी पहले कंझावला की ओर मुड़ी और फिर डेढ़ किलोमीटर चलकर फिर लाडपुर वापस आई। दुकान पर काम खत्म होने के बाद दीपक ने अपने सहयोगी को साथ लेकर कार से गाड़ी को फॉलो किया। दीपक दहिया ने कहा कि जब उन्होंने पीसीआर वैन के अधिकारियों को बलेनो को ले जाते देखा तो वह अपनी दुकान पर लौट आए। दुकान पर लौटने के कुछ ही मिनटों के बाद पुलिस और कुछ लोग सड़क पर भाग रहे थे। फिर, पुलिस मुझे उस जगह तक ले गई, जहां पुलिस की एक और टीम ने सड़क पर शव पाया था। मैं फिर घर लौट आया।
दीपक ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि घटना के बारे में कई बार जानकारी देने और पुलिस को बुलाने के बावजूद पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया। दीपक ने बताया, “मैं शुरू से ही कार का पीछा कर रहा था। पुलिस एक्टिव होती तो अपराधी मौके से ही पकड़ लिए जाते। मेरे पास पुलिस कंट्रोल रूम के अधिकारियों के साथ मेरी बातचीत की रिकॉर्डिंग भी है।” दीपक के आंखों देखा हाल के बयान के बाद पुलिस की सक्रियता पर सवाल उठ रहे हैं। कंट्रोल रूम, चेक पोस्ट और PCR वैन की मौजूदगी और सूचना देने के बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया।