चीन से दोस्ती बढ़ाते ही नेपाल के भी बुरे दिन शुरू, पड़ सकती है FATF की मार

काठमांडू. पाकिस्तान और चीन की दोस्ती दुनियाभर में कुख्यात है। अब चीन नेपाल से भी करीबी बढ़ा रहा है। हाल ही में चीन की मदद से नेपाल में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन किया गया। नेपाल और चीन के बीच बढ़ती इस दोस्ती से डर है कि कहीं नेपाल की भी हालत पाकिस्तान और श्रीलंका जैसी न हो जाए। चीन के करीब आते ही नेपाल के भी बुरे दिन शुरू हो गए हैं। भारत के पड़ोसी नेपाल पर अब फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में जाने का खतरा मंडराने लगा है। मालूम हो कि पाकिस्तान भी कई सालों तक एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रहकर हाल ही में बाहर आया है। ‘द काठमांडू पोस्ट’ में पृथ्वी मान श्रेष्ठ ने एक आर्टिकल लिखकर आशंका जताई है कि नेपाल पर एफएटीएफ की मार का खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि इसके आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित कानूनों में कई कमियां हैं।

नेपाल एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण से संबंधित पेरिस स्थित नियामक निकाय एफएटीएफ के मानकों का पालन करने के लिए कई कमियों को दूर करने के लिए संघर्ष कर रहा है। कम-से-कम 15 कमजोर कानूनों की पहचान की गई है। नेपाल की आर्थिक स्थिति वैसे ही बहुत अच्छी नहीं है और कई चीजों के लिए विदेशी सहायता पर निर्भर रहता है। यदि ग्रे लिस्ट में डाला जाता है तो नेपाल की अर्थव्यवस्था के लिए यह काफी हानिकारक रहने वाला है। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि हाल ही में एफएटीएफ जैसी रीजनल एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग बॉडी एशिया पैसिफिक ग्रुप के डेलिगेशन ने नेपाल का दौरा किया था और दो हफ्तों तक नेपाल के मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग पर रिस्पॉन्स की जांच की थी।

नेपाल के ग्रे लिस्ट में जाने की ज्यादा आशंका
अधिकारियों ने कहा कि एपीजी अपनी पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट में केवल 16 दिसंबर तक हुई प्रगति को शामिल करेगा। यह नेपाल को फिर से एक कमजोर स्थिति में डाल सकता है। इससे अगर ब्लैकलिस्टेड नहीं हुआ तो कम से कम ग्रे सूची में जाने की आशंका तो बन ही सकती है। ‘ब्लैकलिस्ट’ एक शब्द है जिसका उपयोग एफएटीएफ की कार्रवाई के लिए कॉल के अधीन हाई रिस्क वाले न्यायालयों की सूची के लिए किया जाता है। वर्तमान में, उत्तर कोरिया, ईरान और म्यांमार ब्लैक लिस्ट में हैं। ‘ग्रेलिस्ट’ का उपयोग धन शोधन और आतंक के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए रणनीतिक कमियों वाले देशों को बताने के लिए किया जाता है।

ग्रे लिस्ट में जाने से पाक को हुआ भारी नुकसान
चीन का एक और दोस्त पाकिस्तान भी लंबे वक्त के लिए एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रह चुका है। इस दौरान उसकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई थी। थिंकटैंक और सलाहकार सेवा फर्म तबादलैब प्राइवेट लिमिटेड ने 2021 में एक रिपोर्ट में कहा था कि एफएटीएफ द्वारा पाकिस्तान को ग्रे सूची में डालने के चलते जीडीपी में 38 बिलियन अमरीकी डॉलर के नुकसान की आशंका है। नेपाल साल 2008 से 2014 के बीच एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रह चुका है। एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग पर की गई कार्रवाई जिसमें एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2008 में संशोधन और अन्य कानूनों को लागू करना शामिल है, एफएटीएफ ने आखिरकार 2014 में नेपाल को सूची से हटा दिया था।

15 कानूनों को संशोधित करने की जरूरत
नाम न छापने की शर्त पर नेपाल राष्ट्र बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “ग्रे लिस्ट पर रखे जाने का एक वास्तविक जोखिम है क्योंकि हमारे पास कानून और मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण से संबंधित कानूनों के प्रवर्तन दोनों में कमियां हैं।” श्रेष्ठा ने कहा कि नेपाल ने 15 कानूनों की पहचान की है जिन्हें एफएटीएफ के एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग मानकों के अनुकूल बनाने के लिए संशोधित करने की आवश्यकता है। वहीं, प्रधानमंत्री कार्यालय के सचिव धन राज ग्यावली ने कहा, “हमने उनमें संशोधन की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन संशोधन होने से पहले प्रतिनिधि सभा का कार्यकाल समाप्त हो गया।”

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