रायपुर. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य श्रीमती अर्चना उपाध्याय ने आज राज्य महिला आयोग कार्यालय शास्त्री चौक रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणों पर जनसुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ नायक ने अपने कार्यकाल की आज 156वीं जनसुनवाई की। रायपुर की आज 82वीं जनसुनवाई में कुल 33 प्रकरण रखे गये थे। इनमे से 10 प्रकरण नस्तीबद्ध किये गए, शेष प्रकरण को आगामी समय मे सुनवाई की जाएगी।
एक प्रकरण में आवेदिका बैकुंठ के पब्लिक स्कूल की प्राचार्य है।अनावेदकगण बच्चों के पालकगण है। अनावेदकगण स्कूल में मनमानी फीस वृद्धि और नही मिलने पर उनके खिलाफ घेराव और आंदोलन भी किया है। जिससे 12 सौ बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। 12 सौ बच्चों के पालकों पर फीस बढ़ोतरी और आर्थिक वृद्धि का बोझ बना हुआ है। आवेदिका का कथन है कि स्कूल की फीस बढ़ाने का निर्णय मैनेजमेंट का हैं। लेकिन इसके बाद में उन्होंने इसकी जिम्मेदारी स्वयं पर लिया है। अनावेदकगणों का कथन है कि स्कूल के सचिव से जब अनावेदकगण मिले तो उनका कहना कि भले 12 सौ बच्चों का भविष्य खराब हो जाये लेकिन वह प्राचार्य के खिलाफ नही जाएंगे।आयोग द्वारा पूछे जाने पर आवेदिका ने कहा कि स्कूल के सीईओ इस मामले में निर्णय दे सकते हैं। इस प्रकरण में बैकुंठ पब्लिक स्कूल के सीईओ सहित सचिव और रीजनल हेड की उपस्थिति में आगामी सुनवाई में इस प्रकरण का निराकरण किया जाएगा। साथ ही दोनो पक्षो को इस प्रकरण से सम्बंधित समस्त दस्तावेज लेकर आगामी सुनवाई में आने के निर्देश दिए गए।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदकगण ने स्कूल के जांच प्रतिवेदन आयोग में प्रस्तुत किये। आवेदिका और अनावेदकगण के मध्य आपसी मतभेद होने के कारण साथ मे काम नही करना चाहते इसलिए उन्हें अलग अलग कार्यालय में कार्य करने हेतु नियुक्त किया जाए। आवेदिका का कथन है कि अनावेदक ने आवेदिका के विरुद्ध उच्च न्यायालय व विभाग में शिकायत किये हैं। आवेदिका को अपने प्रकरण की शिकायत सर्वप्रथम शिक्षा विभाग के आंतरिक परिवाद समिति में रिपोर्ट के बाद ही इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा।
इसी तरह एक अन्य प्रकरण में आवेदिका अपने दोनो भाई भाभी के विरुद्ध शिकायत की है कि उसके बुजुर्ग माता पिता की देखभाल नही करते हैं। आयोग द्वारा अनावेदकगणों को समझाइश दिया गया कि वह बुजुर्ग माता पिता की सेवा करने में आनाकानी करते हैं। ऐसे में उसका मकान खाली कर दे इस स्तर पर अनावेदकगणों ने प्रस्ताव दिया कि माता पिता को भोजन के अतिरिक्त दोनो भाई 3-3 हजार रुपये प्रतिमाह देंगे। इस स्तर पर दोनो पक्षो के मध्य आपसी राजीनामा बनवाया जाएगा। इस प्रकरण को 1 वर्ष आयोग की निगरानी में रखा गया।
एक अन्य प्रकरण में दोनो पक्षो के मध्य वैवाहिक कार्यक्रम तय होने के बाद रद्द हुआ है। जिसको लेकर आवेदिका की बेटी को बदनाम करने की कोशिश अनावेदक के द्वारा किया गया जिसका शिकायत आयोग में की है। अनावेदक का कथन है कि हमने आवेदिका की बेटी को बदनाम करने की किसी तरह प्रयास नही किया है। फिर भी हम माफी मांगते हैं। इस स्तर पर इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने दहेज प्रताड़ना की शिकायत आयोग में प्रस्तुत किया है। उसके बाद पुलिस थाना में भी शिकायत की है जिसमें तीसरी काउंसलिंग होना बताया। चूंकि आवेदिका ने खुद थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है, इस आधार पर इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया है।एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदकगणों के विरुद्ध थाने में एफआईआर दर्ज करा चुकी हैं। अनावेदकगणों ने आवेदिका को घर ले जाने के लिए कुटुंब न्यायालय में आवेदन भी दिए है। यह प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण आयोग से नस्तीबद्ध किया गया।