कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के समापन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए समान विचारधारा वाले 21 दलों को आमंत्रित किया है। यह आयोजन 30 जनवरी को श्रीनगर में होना है। मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से जिन दलों को आमंत्रित किया गया है, उनमें ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी, आंध्र की टीडीपी, जेडीयू, आरजेडी, सपा और बसपा जैसे दल शामिल हैं। हालांकि अब तक जम्मू-कश्मीर की नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के अलावा किसी और दल ने इस कार्यक्रम में शामिल होने की सहमति नहीं दी है। सपा और बसपा ने तो यूपी में यात्रा की एंट्री के दौरान भी शामिल होने से इनकार कर दिया था।
ऐसे में यह सवाल उठता है कि ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, अखिलेश यादव, मायावती और चंद्रबाबू नायडू क्या कांग्रेस के छत्र के नीचे दिखना चाहेंगे? यहां तक कि महाराष्ट्र में एनसीपी और शिवसेना ने अपने नेताओं को यात्रा में भेज दिया था, लेकिन मुखिया उद्धव ठाकरे और शरद पवार निजी तौर पर शामिल नहीं हुए थे। अखिलेश यादव ने तो कांग्रेस के न्योते पर कह दिया था कि भाजपा और कांग्रेस एक ही जैसे दल हैं। उनका कहना था कि हमारी विचारधारा कांग्रेस से अलग रही है। हालांकि उन्होंने सैद्धांतिक तौर पर यात्रा का समर्थन किया था। रालोद के जयंत चौधरी ने भी यात्रा से दूरी बना ली थी।
क्या ममता स्वीकार कर लेंगी कांग्रेस का न्योता
यही वजह है कि खड़गे के पत्र के बाद भी इन दलों के समापन कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर संशय है। ममता बनर्जी तो कई बार कांग्रेस पर हमला बोल चुकी हैं। उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी भी कांग्रेस को भाजपा से लड़ने में कमजोर बताते रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि ममता बनर्जी, नीतीश कुमार समेत कई ऐसे नेता हैं, जो खुद को भी संभावित पीएम उम्मीदवार के तौर पर देखते हैं। वहीं कांग्रेस किसी और दल के नेता को प्रोजेक्ट करने से दूर रही है। ऐसे में इन नेताओं का कांग्रेस के छत्र के नीचे आना मुश्किल ही माना जा रहा है।
केजरीवाल और केसीआर से कांग्रेस ने क्यों बनाई दूरी
कांग्रेस ने जिन 21 दलों को न्योता दिया है, उनमें अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी शामिल नहीं है। इसके अलावा केसीआर की बीआरएस को भी निमंत्रण नहीं मिला है। बता दें कि बीआरएस ने 18 जनवरी को तेलंगाना के खम्मम में एक बड़ी रैली का आयोजन किया है। इसमें करीब 2 लाख लोग शामिल हो सकते हैं। इस रैली में देवेगौड़ा, अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी नेताओं को केसीआर ने बुलाया है। माना जा रहा है कि बीआरएस और केजरीवाल की आकांक्षाओं को देखते हुए ही कांग्रेस ने इन्हें दूर रखा है। इसके अलावा दिल्ली, पंजाब में आप से उसका मुकाबला है। वहीं तेलंगाना में वह केसीआर के विपक्ष में है। इसलिए वह राज्यों के स्तर पर भी शायद गलत संदेश नहीं देना चाहती।