नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू करने में लगातार देरी हो रही है। सरकार अब तक सात बार इसके नियम बनाने की समय सीमा बढ़ाने की मांग कर चुकी है। हालांकि इसे लागू करने में देरी की वजह महामारी को बताया गया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भरोसा दिया है कि कानून जरूर लागू होगा लेकिन बार-बार समय सीमा बढ़ाए जाने से कई अटकलें लगाई जा रही हैं।
एक अधिकारी ने कहा कि यह राजनीतिक फैसला है और कब कानून लागू होगा, यह सरकार को तय करना है। नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू करने के लिए नियमों को अधिसूचित किया जाना है। सरकार ने कुछ दिन पहले इसे लागू करने के लिए केंद्र सरकार ने छह महीने का और समय मांगा था। लगातार सातवीं बार समय को बढ़ाने की मांग की गई है।
इस अधिनियम को 2019 में पास किया गया था। अधिनियम को पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले हिंदू, सिख, पारसी, ईसाई, बौद्ध और जैन धर्म के लोगों के लिए लाया गया था। इसके तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले जो भी लोग बिना दस्तावेज भारत में आए हैं, उन्हें नागरिकता दी जाएगी। सरकार ने 11 दिसंबर 2019 में सीएए कानून को संसद में पास किया था। 12 दिसंबर को इस पर राष्ट्रपति ने भी सहमति दे दी थी। गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी करके कहा था कि 10 जनवरी 2020 को यह लागू हो जाएगा। इस कानून पर भारी विरोध देखने को मिला था।