वरुण पर जल्दबाजी कर गए राहुल गांधी? कैसे उत्तर भारत में कांग्रेस के…

नई दिल्ली. बीजेपी के पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी सुर्खियों में हैं। लंबे समय से वे अपनी ही पार्टी की योजनाओं पर सवाल उठा रहे हैं, जिसके बाद से उनके कांग्रेस में जाने की अटकलें लगाई जाने लगीं। सियासी गलियारों में सवाल होने लगे कि 2024 के लोकसभा चुनाव में शायद ही वरुण गांधी को बीजेपी उम्मीदवार बनाए। ऐसे में वे कांग्रेस का रुख करके चचेरे भाई राहुल के साथ पार्टी को नई ऊर्जा दे सकते हैं। हालांकि, इन सभी अटकलों पर राहुल गांधी ने पिछले दिनों यह कहकर ब्रेक लगा दिया कि उन्हें वरुण गांधी की विचारधारा को वह स्वीकार नहीं कर सकते हैं। वरुण पर दिए गए राहुल गांधी के बयान के बाद से ही चर्चाएं होने लगी हैं कि क्या राहुल गांधी ने चचेरे भाई को लेकर जल्दबाजी कर दी? क्या उन्हें इतनी जल्दी वरुण के लिए पार्टी के दरवाजे के दरवाजे बंद करने चाहिए थे? राजनीतिक एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यदि वरुण की एंट्री कांग्रेस में होती तो यह कांग्रेस पार्टी के लिए किसी ‘ब्रह्मास्त्र’ से कम नहीं होता।

उत्तर भारत में कांग्रेस को फिर से पुनर्जीवित कर सकते थे वरुण
गांधी परिवार की राजनीति उत्तर भारत के इर्द-गिर्द चलती रही है। इसमें से खासकर उत्तर प्रदेश काफी अहम है। इस समय सोनिया गांधी जहां रायबरेली से सांसद हैं, तो अमेठी भी 2019 चुनाव से पहले गांधी परिवार का गढ़ रहा है। पिछले चुनाव में स्मृति ईरानी ने अमेठी से राहुल गांधी को हराकर गांधी परिवार के गढ़ में सेंधमारी की। एक समय में उत्तर भारत के राज्यों में एकतरफा राज करने वाली कांग्रेस की मौजूदा हालत खस्ता हो गई है। यूपी में कांग्रेस के पास सिर्फ दो ही विधायक हैं, जबकि संसद में भी यूपी से सिर्फ सोनिया गांधी ही प्रतिनिधित्व कर रही हैं। अन्य राज्यों जैसे- उत्तराखंड, बिहार, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, पंजाब आदि में पार्टी की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। ऐसे में वरुण गांधी यदि कांग्रेस में शामिल होते तो इससे पार्टी को कई राज्यों में फायदा मिलने की उम्मीद थी। वरुण पार्टी को पुनर्जीवित करने में अहम भूमिका निभा सकते थे। उल्लेखनीय है कि वरुण की अब तक की सियासत उत्तर प्रदेश की ही रही है। वे सुल्तानपुर और पीलीभीत से जीतते रहे हैं। उनका जनता से कनेक्ट अब भी बरकरार है और वे किसानों, युवाओं के मुद्दे पर अपनी ही सरकार को घेरने से पीछे नहीं हटते।

शानदार भाषण शैली के धनी हैं वरुण गांधी
राजनीतिक एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यदि प्रियंका गांधी के साथ वरुण गांधी उत्तर भारत पर फोकस करते तो आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी को फायदा मिलता। इसके बाद साल 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी वरुण गांधी कांग्रेस के लिए काम आ सकते थे। कांग्रेस के पास इस समय शानदार भाषण शैली वाले नेताओं की संख्या काफी कम है। इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि चुनाव के दौरान रैलियों में अच्छे भाषण मतदाताओं पर काफी असर डालते हैं। वरुण के अतीत में दिए गए भाषणों को देखें तो वे काफी लोकप्रिय रहे हैं। मंचों से जब-जब वरुण ने भाषण दिए हैं, तो जनता की काफी तालियां मिली हैं। कांग्रेस में पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया, गुलाम नबी आजाद, हिमंत बिस्वा सरमा समेत कई दिग्गज नेता मौजूद थे। पिछले कुछ सालों में ये सभी एक-एक करके कांग्रेस से जाते रहे हैं। ऐसे में अब कांग्रेस के पास बड़े और जनाधार वाले नेताओं की कमी है। यदि कांग्रेस वरुण गांधी को अपने साथ जोड़ने में कामयाब हो जाती तो पार्टी के लिए यह बड़ी उपलब्धि से कम नहीं होता। साथ ही, चुनावी सीजन में वह जनता के बीच मैसेज देने में भी कामयाब होती कि वह अब भी बड़े नेताओं की पसंद बनी हुई है। चुनाव में भी इन संदेशों का जनता के बीच काफी असर होता है।

वरुण के पास ऑप्शन की कोई कमी नहीं!
यह सच है कि वरुण काफी समय से बीजेपी से नाराज हैं। समय-समय पर दिए गए उनके बयान इसकी पुष्टि भी करते हैं। इसी वजह से वरुण के बारे में अटकलें लगने लगीं कि वे अगले लोकसभा चुनाव से पहले किसी और दल में जा सकते हैं। सूत्रों की मानें तो वरुण के पास ऑप्शन की कोई कमी नहीं है। जब राहुल गांधी के बयान के बाद वरुण की कांग्रेस में एंट्री के लिए दरवाजे लगभग बंद हो गए, तब भी वरुण के पास दूसरे कई अन्य विकल्प बाकी हैं। पिछले दिनों सपा नेता शिवपाल के बयान के बाद वरुण के सपा में शामिल होने की अटकलें लगने लगीं। वरुण से जुड़े एक सवाल पर शिवपाल यादव ने पत्रकारों से कहा, ”भाजपा की भ्रष्टाचार सरकार को हटाने के लिए जो भी साथ आए, उसका स्वागत है।” शिवपाल के इस बयान से संकेत मिलने लगे हैं कि सपा वरुण गांधी को पार्टी में लेने से बिल्कुल पीछे नहीं हटेगी। वरुण को पीलीभीत से चुनाव लड़ने में फायदा भी मिल सकता है। वरुण सालों से किसानों के मुद्दे उठाते रहे हैं। फिर चाहे वह किसान आंदोलन में अन्नदाताओं के साथ खड़े होना हो, या लखीमपुर में हुए थार कांड में किसानों का पक्ष लेना हो, वरुण की राजनीति में किसानों की अहम भूमिका रही है। ऐसे में सपा और आरएलडी के एक साथ होने की वजह से वरुण को भी इसका चुनावी लाभ भी मिलने की संभावना है। हालांकि, यह तो समय ही बताएगा कि वरुण गांधी की भविष्य की राजनीति क्या होती है। क्या वे अगला लोकसभा चुनाव मौजूदा पार्टी बीजेपी से ही लड़ते हैं या फिर किसी अन्य दल में शामिल होते हैं, लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि यदि कांग्रेस वरुण के लिए अपने दरवाजे खोलती है तो उसे नुकसान के बजाए फायदा मिलने की अधिक संभावनाएं हैं।

More From Author

सड़क हादसे में 5 युवकों की मौत:एक स्कूटी पर 2 और दूसरी पर 3 दोस्त थे सवार

CM सुक्खू की हिमाचल के बच्चों को सौगात, खुलेंगे 68 राजीव गांधी बोर्डिंग स्कूल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

city24x7.news founded in 2021 is India’s leading Hindi News Portal with the aim of reaching millions of Indians in India and significantly worldwide Indian Diaspora who are eager to stay in touch with India based news and stories in Hindi because of the varied contents presented in an eye pleasing design format.