हिंदू धर्म के अनुसार, साल में चार बार नवरात्रि का पर्व आता है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि है। इसमें माघ माह की पहली नवरात्रि (गुप्त नवरात्रि ) रविवार से शुरू हो रही है। गुप्त नवरात्रि 22 जनवरी से शुरू होकर 30 जनवरी को समाप्त होगी। गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के दस स्वरूपों के साथ दस महाविद्या की पूजा होगी।
मान्यता है कि इस नवरात्रि में अनुष्ठान करनेवालों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस नवरात्र को तंत्र और मंत्र साधना के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। गुप्त नवरात्र के दौरान ही बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा होती है। गृहस्थ जीवन वालों को गुप्त नवरात्र में देवी की सामान्य पूजा ही करनी चाहिए।
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गुप्त नवरात्र की दस महाविद्या
आचार्य पंडित रामदेव के अनुसार गुप्त नवरात्रि में मां काली, मां तारा, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वर, मां छिन्नमस्तिका, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला की पूजा होती है। गुप्त नवरात्रि में गृहस्थ जीवन वाले को नौ दिन तक दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं। साथ ही देवी दुर्गा के नवार्ण मंत्र का प्रत्येक दिन एक माला का जाप कर सकते हैं।
यह है शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि, इस वर्ष 22 जनवरी 2023 को रात्रि 02 बजकर 21 मिनट पर आरंभ होगी। 22 जनवरी को ही रात 10 बजकर 25 मिनट पर प्रतिपदा तिथि का समापन भी है।
कलशस्थापना का मुहूर्त
घटस्थापना मुहूर्त: सुबह 10 बजकर 02 मिनट से सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से दोपहर 12.45 बजे तक
मीन लग्न शुरू: 22 जनवरी 2023, सुबह 10.03 बजे
::: गुप्त नवरात्र की शुरुआत शैलपुत्री पूजा से :::
22 जनवरी: घटस्थापना, शैलपुत्री पूजा
23 जनवरी: ब्रह्मचारिणी पूजा
24 जनवरी: चंद्रघंटा पूजा
25 जनवरी: कूष्माण्डा पूजा
26 जनवरी: स्कंदमाता पूजा
27 जनवरी: कात्यायनी पूजा
28 जनवरी: कालरात्रि पूजा
29 जनवरी: दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा
30 जनवरी: सिद्धिदात्री पूजा, नवरात्रि पारण