ग्लोबल इंटेलिजेंस कंपनी ‘मॉर्निंग कंसल्ट’ के एक नए सर्वेक्षण ने भारत के बदलते दृष्टिकोण का खुलासा किया है, जो रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर भू-राजनीतिक परिवर्तनों के बीच चीन को “सबसे बड़ा सैन्य खतरा” के रूप में देखता है। विदेश नीति में माइकल कुगेलमैन लिखते हैं कि नई दिल्ली बीजिंग के साथ अपने सामरिक संघर्ष को तेज कर रही है और यह अगली शताब्दी को आकार देने के लिए तैयार है।
उन्होंने लिखा है कि हाल के वर्षों में चीन के कदमों ने भारत को रणनीतिक खतरे की गणना करने के लिए उकसाया है। भारत की नीति में आया यह बदलाव अब सार्वजनिक भावना में परिलक्षित होने लगा है।
मॉर्निंग कंसल्ट पोल ने खुलासा किया कि ज्यादातर भारतीय नागरिक अब चीन को ही देश के लिए “सबसे बड़ा सैन्य खतरा” के रूप में देखते हैं। 43 प्रतिशत लोगों ने चीन का नाम लिया, जबकि केवल 13 प्रतिशत ने ही लंबे समय से प्रतिद्वंद्वी रहे पाकिस्तान का जिक्र किया।
पिछले साल अक्टूबर में 1,000 भारतीय वयस्कों के साथ साक्षात्कार के आधार पर किया गया यह सर्वेक्षण देश की दीर्घकालिक सामरिक चुनौतियों और भारतीय दृष्टिकोण में आए बदलाव को दर्शाता है। इस सर्वे में भारतीय अधिकारी भी शामिल रहे हैं।
कुगेलमैन ने लिखा है कि 1947 में आजादी के बाद से भारत ने पाकिस्तान के साथ तीन युद्ध लड़े हैं और अभी भी दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं लेकिन चीन से बढ़ते खतरे और हालिया भारतीय विदेश नीति के कदम, दिखाते हैं कि नई दिल्ली का ध्यान अब बीजिंग की ओर स्थानांतरित हो गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बदलाव के कारण ही भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके एशियाई सहयोगियों के साथ अपनी साझेदारी को और मजबूत किया है। बैलेंसिंग एक्ट के तहत नई दिल्ली ने मॉस्को के साथ अपने संबंध संतुलित बनाए रखे हैं जो यूक्रेन में युद्ध के बीच बीजिंग के करीब आ गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को कई मोर्चों पर चीन से बड़े खतरों का सामना करना पड़ रहा है। इसने बीजिंग को उनकी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रोकने के लिए संघर्ष किया है। लद्दाख में 2020 के घातक संघर्ष के बाद से चीनी सैनिकों ने भारत में घुसपैठ करना जारी रखा है, जिसमें पिछले महीने की घटना भी शामिल है। इस बीच,चीन हिंद महासागर में अपनी नौसैनिक मौजूदगी बढ़ा रहा है। भारत को भी चीनी निगरानी की चिंता है।
विदेश नीति की रिपोर्ट के अनुसार, नई दिल्ली ने सुरक्षा का हवाला देते हुए 300 से अधिक चीनी मोबाइल ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है। सीमा संघर्ष के बाद से भारत द्वारा चीन के साथ वाणिज्यिक संबंधों को कम करने का फिलहाल यह एकमात्र बड़ा मामला है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि नई दिल्ली की विदेश नीति हाल के वर्षों में चीन पर बदल गई है। इसने चतुर्भुज सुरक्षा संवाद और चीन का मुकाबला करने के अन्य प्रयासों को भी अपनाया है।