नई दिल्ली. आधुनिक ज्योतिष में कालसर्प दोष का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसके बावजूद विद्वानों की राय कालसर्प दोष के बारे में एक जैसी नहीं है। वैदिक ज्योतिष शास्त्रों में कालसर्प दोष का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है। राहु और केतु के बीच जब सारे ग्रह हों तो कालसर्प दोष होता है।
कुंडली के बारह भावों में राहु-केतु की स्थिति के अनुसार कालसर्प दोष बारह प्रकार के होते हैं—1. अनंत 2. कुलिक, 3. वासुकि 4. शंखपाल 5. पद्म 6. महापद्म 7. तक्षक 8. कर्कोटक 9. शंखनाद 10. घातक 11. विषाक्त 12. शेषनाग कालसर्प।
कालसर्प योग को सामान्यत जीवन में संघर्ष की मात्रा बढ़ाने तथा महत्त्वपूर्ण कार्यों में आखिरी मौके पर बाधा उत्पन्न करने वाले योग के रूप में जाना जाता है। इस योग में कुंडली के जिन भावों से राहु-केतु का संबंध होता है, जीवन में उससे संबंधित समस्याएं लगी रहती हैं, उदाहरण के तौर पर संतान भाव से इस योग का संबंध संतान संबंधी मामलों में बाधा उत्पन्न करता है।
कालसर्प दोष शांति के उपाय
● दूध में थोड़ी मिश्री मिलाकर शिवलिंग पर अभिषेक करना और शिवतांडव स्रोत का नियमित पाठ।
● बहते जल में चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा सोमवार, पंचमी या त्रयोदशी तिथि को प्रवाहित करें।
● चांदी से बनी सर्प के आकार की अंगूठी मध्यमा अंगुली में शनिवार को धारण करें।
● श्रावण माह या अपने जन्मदिन पर रुद्राभिषेक करें।
● शनिवार एवं मंगलवार को राहु एवं केतु के बीज मंत्र का जाप एक माला करके पक्षियों को जौ के दाने खिलाएं।
● त्र्यंबकेश्वर या महाकालेश्वर जाकर शांति पूजा करें।
● भोजन रसोईघर में या उसके नजदीक बैठकर खाएं। खाने से पहले कुछ हिस्सा जीव-जंतु एवं पक्षी के लिए निकालें।
● ललाट पर चंदन का तिलक लगाएं और चांदी के आभूषण या बर्तन का प्रयोग करें।
● अपने रहनेवाली जगह के इर्द-गिर्द साफ-सफाई का ध्यान दें, विशेषकर सोने का कमरा, टॉयलेट व बाथरूम को सदैव स्वच्छ रखें।