पीतल के स्वास्थ्य संबंधी गुणों के बारे में क्या आप जानते हैं? Brass के बर्तन में पानी पीने से खून की कमी को दूर किया जा सकता है। Brass के बर्तन में पानी पीने का सुझाव इसलिए भी दिया जाता है क्योंकि यह शरीर से संक्रमण खत्म करने में मददगार साबित होता है। पीतल के बर्तन में रखे हुए पानी को एंटी-एजिंग प्रोपर्टी के रूप में भी जाना जाता है। अर्थात पीतल के बर्तन में पानी पीने से हम जल्दी बूढ़े नहीं होते हैं। Brass के बर्तन में पानी पीने से सिर्फ खून बढ़ता ही नहीं है बल्कि साफ भी होता है। पीतल के बर्तन में रखा पानी पीने से खून से विशैले तत्व दूर होते हैं चमकती त्वचा का भी एक कारण होता है।
इसलिए अगर आप भी बाजार में मिलने वाले हानिकारक केमिकल मिक्स काॅस्मेटिक को त्वचा पर लगाने से परहेज करते हैं। तो इस लाखों साल पुराने नुस्खे को अपनाकर बिना किसी साइड इफेक्ट के अपने शरीर को स्वास्थ्य और चेहरे को निखार सकते हैं। कई बार खानपान की खराब आदतें शरीर में टॉक्सिन्स का कारण बन जाती है। यह टॉक्सिन्स त्वचा संबंधी रक्त को भी गंदा कर देते है। खून मौजूद ये टॉक्सिन्स से चेहरे पर कील मुंहासे, फुंसी और एलर्जी जैसी समस्याएं भी खून की गंदगी के कारण हो जाती है। ऐसे में पीपल के बर्तन में रखना पानी प्रतिदिन पीने से इसका असर आप जल्दी देखेंगे।
पीतल के फायदे
सेहत की दृष्टि से अगर देखा जाए तो Brass के बर्तनों में बने हुए भोजन को स्वादिष्ट और संतोष देने वाला बताया गया है तथा पीतल के पात्र में बने भोजन को तेज और ऊर्जा देने वाला भोजन बताया गया है। Brass के बर्तन में खाना दूसरे बर्तन की तुलना में जल्दी बनता है क्योंकि पीतल का बर्तन दूसरे धातु के बर्तन की तुलना में जल्दी गर्म होता है। Brass की बनी हुई थाली, कटोरे, गिलास, पीतल का लोटा आदि बर्तनों का इस्तेमाल करने से शरीर में उर्जा का प्रसार बढ़ता है और विकारों में कमी आती है।पीतल के बर्तन मे खाना खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती हैं। Brass में पकाया हुआ खाना लंबे समय तक खराब नहीं होता हैं। पीतल के बर्तन मे खाना खाने से बुद्धि का विकास होता हैं तथा । पीतल के बर्तन मे खाना खाने से पाचन क्षमता ठीक होती हैं। धार्मिक दृष्टि से पीला रंग भगवान विष्णु का प्रिय रंग माना गया है।
हिंदू धर्म में पीले रंग का इस्तेमाल पूजा पाठ में काफी ज्यादा इस्तेमाल होता है। भगवान विष्णु को वस्त्र और आसन के लिए पीले रंग के कपड़े का ही इस्तेमाल किया जाता है और पूजा पाठ के लिए Brass के बर्तनों का इस्तेमाल प्राथमिक रूप से होता है। वेदों में पीतल को भगवान धन्वंतरि का सबसे प्रिय धातु बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार Brass के पात्र में बने हुए ही चावल और दाल को खाना चाहिए। वैज्ञानिक दृष्टि से एलुमिनियम में बने हुए खाने से परहेज करना चाहिए। जिस व्यक्ति की तबीयत बार-बार खराब होती है ऐसे व्यक्ति को Brass के पात्र में बने भोजन ही ग्रहण करने चाहिए। जो लोग यह जानना चाहते हैं कि वास्तुशास्त्र के अनुसार कौन से बर्तन में पानी पीना चाहिए, उन्हें भी पीतल के बर्तन में पानी पीने की सलाह दी जाती है।