बंगाल में बदली कहानी! अब तक ममता रहती थीं गवर्नर से नाराज

कोलकाता. पश्चिम बंगाल की राजनीति में सरकार और राज्यपाल के बीच सियासी कहानी बदलती नजर आ रही है। इसके संकेत बुधवार को राज्य में बजट सत्र की शुरुआत से मिले। विधानसभा में राज्यपाल सीवी आनंद बोस का संबोधन चल रहा था और इधर भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने वॉक आउट किया। इतना ही नहीं विधानसभा के बाहर जमकर नारेबाजी भी हुई।

खास बात है की राज्य के पूर्व राज्यपाल और मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार के बीच खींचतान की खबरें आती रही हैं। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर जमकर हमलावर रहे। अब बुधवार को भाजपा ने नए राज्यपाल के भाषण के कुछ हिस्सों पर आपत्ति जता दी। कुछ दिनों पहले ही भाजपा विधायकों ने सीएम बनर्जी की तारीफ करने को लेकर बोस पर सवाल उठाए थे।

कहां शुरू हुआ तनाव?
संबोधन के दौरान जब राज्यपाल ने कहा, ‘मेरी मुख्यमंत्री के नेतृत्व में बीता साल शांति से गुजरा और सरकार राज्य में कानून-व्यवस्था और सांप्रदायिक सद्भावना बनाए रखने के लिए सतर्क रही। सभी धार्मिक त्योहार खुशी और भाईचारे के साथ मनाए गए, जो हमारी संस्कृति को दिखाता है।’ उन्होंने MGNREGA, ग्रामीण आवास और ग्रामीण सड़कों के क्षेत्र में इस साल काम करने के बात कही। साथ ही 2021-22 तक बंगाल को इन मामलों में शीर्ष राज्य बताया।

भाजपा का प्रदर्शन
भाषण के दौरान भाजपा के सदस्यों ने भी जमकर प्रदर्शन किया। भाजपा ने राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग की, कागज फेंके और वॉक आउट किया। इसके बाद बाहर ‘गो बैक’ के नारे भी लगाए गए।

भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी ने कहा, ‘राज्यपाल के भाषण का ड्राफ्ट कैबिनेट ने तैयार किया था। इससे पहले कई राज्यपालों ने राज्य सरकार को भाषण में कुछ लाइनें बदलने के लिए कहा। ऐसा गोपालकृष्ण गांधी, केसरीनाथ त्रिपाठी और जगदीप धनखड़ के समय हुआ है। हमने उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया। हम निराश हैं कि उन्होंने मुख्यमंत्री की तरफ से तैयार ड्राफ्ट को पढ़ा।’

अधिकारी ने आगे कहा, ‘राज्य में कानून-व्यवस्था बेहद खराब हो रही है और राज्यपाल को अच्छी तस्वीर दिखाने के लिए कहा जा रहा है। सरकार राज्यपाल के जरिए विधानसभा में ऐसे झूठे बयान दिला सकती है?’

TMC का पलटवार
इधर, टीएमसी ने भाजपा के आरोपों का पलटवार किया और हंसी का पात्र बता दिया। पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘राज्यपाल को भाजपा शासित केंद्र की तरफ से भेजा गया है। प्रदेश भाजपा पूरी तरह राज भवन पर निर्भर हो गई है। परेशान होकर उन्होंने नारेबाजी की और कागज फेंके, लेकिन भाषण में खलल नहीं डाल पाए और राज्यपाल ने उसे पूरा किया।’

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