नई दिल्ली. प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मा, त्रिपुरा का एक ऐसा नाम जो आने वाले चुनाव में भाजपा को बड़ी टेंशन दे सकता है। शाही परिवार के वंशज प्रद्योत बिक्रम स्थानीय आदिवासी समुदाय के लिए ‘ग्रेटर तिपरालैंड’ नाम से नए राज्य की मांग कर चुके हैं। दो साल पुरानी तिपरा मोथा पार्टी (टीएमपी) के मुखिया प्रद्योत बिक्रम का राज्य की 32 फीसदी आदिवासी आबादी पर अच्छा-खासा प्रभाव है। राज्य में आदिवासियों के लिए रिजर्व 20 सीटों में से एक, अंपीनगर में जब प्रद्योत बिक्रम का चॉपर लैंड करता है, तो इस बात को साफ महसूस किया जा सकता है। त्रिपुरा के आगामी विधानसभा में वह इसका जबर्दस्त फायदा उठा सकते हैं और भाजपा के इरादों पर पानी भी फेर सकते हैं।
2019 में छूटा था कांग्रेस का हाथ
साल 2019 में कांग्रेस का हाथ छोड़ने के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से ब्रेक लिया था। बाद में उन्होंने तिपरा मोथा पार्टी (टीएमपी) की स्थापना की और साल 2021 में उन्होंने त्रिपुरा आदिवासी काउंसिल चुनाव में जीत हासिल की। इस जीत की खास बात यह रही कि उन्होंने सत्ताधारी भाजपा और आईपीएफटी के गठबंधन को मात दी थी। इसके अलावा, लेफ्ट और कांग्रेस भी उनके सामने नहीं टिक सके थे। त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में टीएमपी 60 में से 42 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। फिलहाल आदिवासी बहुत क्षेत्रों में टीएमपी को बेहद मजबूत राजनीतिक ताकत माना जा रहा है।
खुद नहीं लड़ रहे चुनाव
प्रद्योत बिक्रम की खास बात यह है कि आदिवासी समुदाय के बीच गहरी पकड़ होते हुए भी वह अन्य समुदायों को नजरअंदाज नहीं कर रहे। अपनी राजनीति के बारे में वह कहते हैं कि मैंने महलों से सियासत का जाना-पहचाना रास्ता चुना। मैं नॉर्थईस्ट में पला-बढ़ा हूं और मैंने यहीं पर अपनी पढ़ाई की है। अब मैं आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के लिए लड़ रहा है। हालांकि मैं अन्य लोगों के खिलाफ बिल्कुल नहीं हूं। खास बात यह भी है कि प्रद्योत बिक्रम खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। हालांकि वह अपनी पार्टी के लिए प्रचार-प्रसार में जोर-शोर से जुटे हैं। उनकी पार्टी गैर-आदिवासी इलाकों में भी उम्मीदवार खड़े कर रही है। गौरतलब है कि आदिवासी वोट चुनाव में बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं।
टीएमपी को ऐसे खारिज कर रही भाजपा
दूसरी तरफ भाजपा टीएमपी की ग्रेटर तिपरालैंड की मांग से सहमत नहीं है। उसका कहना है कि यह बंगाली आदिवासी समरसता को प्रभावित करेगा। अमित शाह ने हाल ही में एक रैली में कहा था कि अगर आप टीएमपी के लिए वोट करेंगे तो वह कांग्रेस या सीपीआई(एम) को चला जाएगा। हालांकि टीएम के समर्थक चाहे वो आदिवासी हों या गैर आदिवासी, भाजपा की इस बात को पूरी तरह से खारिज करते हैं। दक्षिणी त्रिपुरा के शांतिरबाजार के प्रदीप मित्रा कहते हैं, हमारे महाराजा कम्यूनल नहीं हैं। वह सभी को साथ लेकर चलते हैं। शिड्यूल कास्ट, आदिवासी, गैर आदिवासी सभी उनके साथ खड़े हैं। यह उनकी पारिवारिक विरासत है। जब पार्टीशन के बाद बंगाली शरणार्थी यहां आए तो यह शाही परिवार था, जिसने उन्हें यहां पर बसाया।