भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे ही सियासी घमासान बढ़ता जा रहा है। जनता के दरबार के बाद अब नेता बाबा और संतों के दरबार में पहुंच रहे हैं। जब सभी नेता संतों के शरण में जा रहे हैं तो ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा हो रहा कि क्या इस बार की सरकार संतों के आशीर्वाद से बनेगी ? पूर्व सीएम कमलनाथ और वीडी शर्मा के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) भी अब संतों के शरण में पहुंच रहे हैं। सीएम शिवराज आज कुबेरेश्वर धाम जाने वाले थे लेकिन कुछ कारणों उनका दौरा स्थगित हो गया। अब संतों के दरबार में जाने को लेकर सियासत शुरू हो गई है।
भाजपा को हमेशा चुनाव देखते ही भगवान याद आते हैं
कांग्रेस मीडिया विभाग उपाध्यक्ष अब्बास हफीज ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा है कि भाजपा को हमेशा चुनाव देखते ही भगवान याद आते हैं। भाजपा ने हमेशा धर्म को राजनीति के लिए इस्तेमाल किया है। इनके सभी नेता बाबा और संतों की शरण में पहुंचने लगे हैं। लेकिन ये किसी भी बाबा या संत के पास चले जाए कोई फायदा नहीं होने वाला है, क्योंकि सभी बाबाओं ने इन्हें बता दिया है कि अब इनके हाथ से सत्ता जाने वाली है। 2023 में कांग्रेस की सरकार बनने वाली है। चाहे कितने ही बाबाओ और संतों के धाम या दर्शन कर लें। सबकी तरफ से एक ही जवाब आने वाला है। जनता भी इनकी धर्म की राजनीति को समझ चुकी है और अब कांग्रेस का साथ देने वाली है।
कांग्रेस को शर्म आनी चाहिए, राजनीतिक मुद्दा ना बनाए
भाजपा नेता रमेशचंद्र शर्मा ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस को शर्म आनी चाहिए ऐसे बातें करते हुए। क्योंकि हमेशा चुनाव के टाइम पर आश्रम-आश्रम कांग्रेस के लोग घूम रहे हैं। उसका प्रचार भी कर रहे हैं। भाजपा के नेताओं की रूटीन एक्टिविटी में होता है मंदिर और अन्य धार्मिक जगहों पर जाना। हम जब भी कहीं प्रचार-प्रसार या दौरे पर जाते हैं तो वहां पर ज्योतिर्लिंग आश्रम के दर्शन करते ही है तो कांग्रेस इसको राजनीति में बिलकुल ना ले और ये वो बीजेपी है जिसने राम मंदिर से लेकर अन्य ऐसे आंदोलनों में भाग लिया है। महाकाल लोक का विस्तार भी भाजपा की सरकार रहते हुआ है। कांग्रेस ने आज तक किया ही क्या है वो खुद बताए।