नई दिल्ली. अफ्रीकी मुस्लिम राष्ट्र मिस्र (Egypt)अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मिले 3 अरब डॉलर के बेलआउट ऋण के बावजूद डॉलर की कमी से जूझ रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार की इस कमी को दूर करने के लिए मिस्र खाड़ी देशों के अमीर मुस्लिम देशों को अपनी सरकारी संपत्ति बेच रहा है।
विशेषज्ञों के मुताबिक इस सौदे से दोनों पक्ष को लाभ मिलने की संभावना है। काहिरा को उम्मीद है कि सरकारी संपत्ति बेचने से उसे नकद प्राप्ति होगी जो IMF की चेतावनी को दूर करने में अहम होगी। IMF ने काहिरा को अगले चार सालों में लगभग 17 अरब डॉलर के वित्त पोषण का अंतर रखने को कहा है।
दूसरी तरफ खाड़ी देशों के मुस्लिम देशों कुवैत, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात मिस्र की संपत्ति खरीदने को इच्छुक है। ये देश, जो अपने तेल और गैस-आधारित अर्थव्यवस्थाओं में विविधता लाने के लिए उत्सुक हैं, मिस्र की आर्थिक बदहाली का फायदा उठाते हुए उसकी संपत्ति, भूमि और सरकारी उद्यमों की खरीद कर और उसमें हिस्सेदारी हासिल कर अफ्रीकी देशों में अपनी अहम उपस्थिति बनाना चाहते हैं।
लंदन में कैपिटल इकोनॉमिक्स में एक उभरते बाजार अर्थशास्त्री, जेम्स स्वानस्टन ने कहा,”पिछले साल IMF से और 3 अरब लोन मिलने से पहले खाड़ी देशों द्वारा मिस्र में किए गए निवेशों ने मिस्र की तात्कालिक वित्तीय चिंताओं को कम करने में मदद की थी।” इस बार फिर ये खाड़ी देश मिस्र की संपत्ति खरीदकर दो पक्षीय लाभ की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं।
बता दें कि एक साल से भी कम समय में मिस्र की करंसी मिस्री पाउंड ने अपना मूल्य करीब 50 फीसदी गंवा दिया है, जिससे आयात पर निर्भर देश में मुद्रास्फीति जनवरी में 26.5 प्रतिशत हो गई है। खाड़ी के कई मुस्लिम देश मिस्र की गिरती करंसी का फायदा उठाने की फिराक में हैं।