भिलाई। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के किसानों की स्थिति टमाटर ने इस बार खराब कर दी है। 3000 एकड़ में लगाए गए टमाटर का लेवाल नहीं होने से किसानों ने इसके उत्पादन पर ध्यान नहीं दिया और अब यह टमाटर खेतों में ही सड़ रहा है।
इससे किसानों को करीब 30 करोड़ रुपये का नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि दिसंबर – जनवरी में टमाटर के रेट काफी कम होने से किसानों ने इसके उत्पादन की ओर ध्यान देना ही छोड़ दिया। खेतों में ही टमाटर की फसल को उसके हाल पर छोड़ दिया गया।
एक एकड़ में टमाटर के लिए किसानों को 60 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। पिछले साल उन्हें एक लाख रुपये एकड़ में टमाटर की बिक्री होने के कारण लाभ हुआ था। इस तरह किसानों ने करीब 40 हजार रुपये प्रति एकड़ की कमाई की थी।
इस बार दिल्ली के लिए टमाटर जिले से नहीं जा रहा है। सिर्फ दक्षिण भारत के कुछ प्रदेशों में दुर्ग जिले का टमाटर जा रहा है। जिसकी मात्रा काफी कम है। इसकी वजह से भी किसान निराश है। दिल्ली के लिए महाराष्ट्र और मप्र से टमाटर की आपूर्ति हो रही है। जो दुर्ग जिले के टमाटर से काफी अच्छे किस्म की बताई जा रही है।naidunia
टमाटर ने इस बार किसानों को निराश कर दिया। बैंक से ऋण लेकर टमाटर की फसल लगाने वाले किसान उसके लिए लेवाल नहीं होने की वजह से बर्बाद हो गए हैं। किसानों के अनुसार इस समय लगाए गए टमाटर की मांग दक्षिण भारत के अधिकांश राज्यों में रहा करती थी। इसके अलावा दिल्ली भी भेजा जाता था।
दुर्ग जिले के किसानों का कहना है कि दोनों ही जगह से उनके टमाटर की मांग नहीं है। ऐसी स्थिति के बाद उनके द्वारा टमाटर के उत्पादन को लेकर ध्यान देना छोड़ दिया गया है। खेतों में ही टमाटर की फसल पड़ी हुई है। उसके उत्पादन में अब किसान रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
किसानों को चिंता है कि टमाटर की फसल के लिए लिए गए ऋण का भुगतान वह कहां से कर पाएंगे, क्योंकि टमाटर नहीं बिकने की वजह से वे इसकी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं। धमधा क्षेत्र के किसान जालम सिंह ने बताया कि प्रति एकड़ 60 हजार रुपये खर्च किए जाते है।
इसके बाद उन्हें एक लाख रुपये तक प्रति एकड़ टमाटर की कीमत मिलती थी। इससे वे बैंक का ऋण देने के बाद लाभ में रहते थे, लेकिन इस वर्ष स्थिति काफी खराब हो गई है। किसान काफी परेशान हैं।
खेत से टमाटर उखड़वा रहे हैं
जिला पंचायत दुर्ग के पूर्व अध्यक्ष व किसान जीवन लाल वर्मा ने बताया कि उन्होंने ग्राम डोडकी स्थित पांच एकड़ खेत में टमाटर की फसल लगाई है। स्थानीय बाजार में भी टमाटर की मांग नहीं है। ऐसे में लागत भी निकल पाना संभव नहीं है।
उन्होंने बताया कि स्थिति को देखते हुए खेत में लगाई टमाटर की फसल को उखड़वा रहे हैं। टमाटर की मांग नहीं होने के कारण उन्हें करीब 20 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं ग्राम हसदा निवासी घनश्याम साहू ने बताया कि उन्होंने चार एकड़ खेत में टमाटर की फसल लगाई है। बाजार में मांग नहीं है इस कारण उन्होंने फसल की देखरेख करना बंद कर दिया है।
दुर्ग जिला थोक फल सब्जी विक्रेता संघ अध्यक्ष रितेश टांक ने कहा, टमाटर ने इस बार किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। बाजार में दिसंबर माह से टमाटर की मांग लगभग खत्म सी हो गई थी। इसके बाद भी दुर्ग के किसानों में प्रति वर्ष की मांग को देखते हुए इस वर्ष भी टमाटर की फसल ली थी, लेकिन इसके लेवाल नही मिले । यही वजह है कि किसानों को नुकसान हुआ है। कर्जदार हो गए है। पिछले साल इसी टमाटर की इतनी मांग थी कि किसानों ने काफी कमाई की थी।