नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बीच ‘राजनीतिक विवाद’ के संदर्भ में शीर्ष अदालत के वर्ष 2016 के ‘नवाब रेबिया’ फैसले पर अलग से पुनर्विचार लिए सात न्यायाधीशों की पीठ को भेजने की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह मामले (उद्धव ठाकरे और शिंदे गुटों के विवाद) की योग्यता पर विचार के साथ ही नवाब रेबिया फैसले को बड़ी पीठ के समक्ष पुनर्विचार के लिए भेजने पर कोई फैसला करेगा।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि संदर्भ (नवाब रेबिया फैसला) को ‘अमूर्त तरीके से, अलग और मामले के तथ्यों से अलग’ तरीके से तय नहीं किया जा सकता है।
शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि वह ठाकरे और शिंदे गुट के बीच चल रहे विवाद मामले की योग्यता और नवाब रेबिया फैसले पर पुनर्विचार के मुद्दे पर एक साथ 21 फरवरी से सुनवाई शुरू करेगी।
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने गुरुवार को श्री ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल एवं अन्य अधिवक्ताओं और श्री शिंदे गुट का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे एवं अन्य वकीलों की ओर से पेश दलीलें पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
श्री ठाकरे की शिवसेना ने 2016 के नबाम रेबिया मामले में पांच न्यायाधीशों की पीठ के फैसले को सात न्यायाधीशों की पीठ को सौंपने की शीर्ष अदालत से गुहार लगाई थी।
सर्वश्री ठाकरे और शिंदे के बीच का विवाद 2022 का है। विवाद के बाद श्री ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद श्री शिंदे के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से महाराष्ट्र में नयी सरकार बनी थी।