नई दिल्ली. इस साल केदारनाथ धाम तक जाने वाले पैदल रास्ते पर घोड़े-खच्चरों की निगरानी के लिए भी जवान तैनात रहेंगे। केदारनाथ मंदिर के आधार शिविर गौरीकुंड से केदारनाथ के बीच लगभग 19 किलोमीटर लंबे पैदल मार्ग पर बड़ी संख्या में तीर्थयात्री घोड़े-खच्चरों की सवारी करके बाबा केदार के धाम पहुंचते हैं। इस दौरान, घोड़े खच्चरों के साथ अमानवीयता न हो, इसकी निगरानी के लिए रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने पैदल रास्ते पर प्रांतीय रक्षक दल के 20 जवानों को तैनात करने की योजना बनाई है।
केदारनाथ यात्रा 25 अप्रैल को शुरू हो रही है। बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय की ओर से केदारनाथ यात्रा को लेकर आयोजित बैठक में जिलाधिकारी ने बताया कि जवान यह सुनिश्चित करेंगे कि यात्रा मार्ग में घोड़े-खच्चरों के साथ किसी प्रकार की कोई क्रूरता न हो। बीमार और कमजोर घोड़े-खच्चरों का इस्तेमाल नहीं किया जाए। इसको लेकर निगरानी रखी जाएगी। दीक्षित ने कहा कि जवानों को विभिन्न यात्रा पड़ावों पर तैनात करने से पहले उन्हें उचित प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा।
पिछले साल केदारनाथ यात्रा के दौरान कई घोड़े-खच्चरों की मौत हो गई थी। आरोप लगे थे कि घोड़े-खच्चरों के मालिकों द्वारा उनसे क्षमता से अधिक काम लेने की वजह से ये मौतें हुईं। कोविड-19 के कारण दो साल के अंतराल के बाद पिछले साल संचालित हुई यात्रा के दौरान केदारनाथ सहित चारों धामों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी थी। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि मुनाफा कमाने के लिए कथित तौर पर घोड़ा-खच्चर मालिकों ने उन्हें पर्याप्त आराम दिए बिना उनसे ज्यादा काम लिया।
उत्तराखंड के पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने इस पर संज्ञान लेते हुए केदारनाथ का दौरा किया था। अधिकारियों को इस पर लगाम लगाने और घोड़ा-खच्चरों से क्रूरता करने वाले संचालकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने को कहा था। बैठक में बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने अधिकारियों से केदारनाथ मार्ग से बर्फ हटाने का कार्य त्वरित गति से करने और पैदल मार्ग की जल्द मरम्मत शुरू करने को कहा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सभी व्यवस्थाएं और तैयारियां 15 अप्रैल से पहले पूरी कर ली जानी चाहिए।