इस्लामाबाद. आर्थिक बदहाली से गुजर रहे पाकिस्तान की स्थिति यह है कि सरकार में बैठे मंत्रियों तक को खर्च में कटौती करने को कहा गया है। पाकिस्तान के मंत्रियों के अब बिजनेस क्लास में सफर करने और विदेश यात्रा के दौरान फाइव स्टार होटलों में ठहरने पर रोक लग गई है। इसके अलावा उनकी सैलरी में भी कटौती का फैसला लिया गया है। दिवालिया होने से बचने की जद्दोजहद कर रहे पाकिस्तान ने खर्चों में कटौती शुरू कर दी है ताकि आईएमएफ से 6.5 अरब डॉलर का लोन हासिल हो सके। पाकिस्तान खर्चों में कमी के जरिए 764 मिलियन डॉलर जुटाना चाहता है।
पीएम शहबाज शरीफ ने तो संकेत दिए हैं कि वाले समय में और सख्तियां लागू हो सकती हैं। उन्होंने बुधवार को कहा कि जुलाई में अगला बजट आने वाला है। इस दौरान कुछ और कटौतियां करने का फैसला लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह वक्त की जरूरत है। समय की जो मांग है, हमें वह पूरी करनी होगी। हमें सादगी, कम खर्च से और त्याग के साथ रहना होगा। आबादी के लिहाज से दुनिया का 5वां सबसे बड़ा देश पाकिस्तान लोन डिफॉल्ट के खतरे का सामना कर रहा है। कर्ज का ब्याज तक चुकाने के लिए पाकिस्तान को कर्ज लेने की नौबत आ पड़ी है।
वहीं आईएमएफ आसानी से लोन देने को तैयार नहीं है। वैश्विक संस्था का कहना है कि पाकिस्तान को खर्च में कटौती करनी चाहिए। अमीरों से टैक्स कलेक्शन बढ़ाना चाहिए। इसके अलावा सरकारी कामकाज में भ्रष्टाचार को भी रोकना होगा। यही वजह है कि एक तरफ पाकिस्तान सरकार ने पेट्रोल, डीजल से लेकर अन्य तमाम चीजों पर पाबंदियां बढ़ा दी हैं तो वहीं खर्चों में भी कटौती की भरसक कोशिश हो रही है। एक अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान के पास महज 3 अरब डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा है।
इसके चलते पाकिस्तान ने कई उद्योगों में लगने वाले कच्चे माल के आयात में ही कमी कर दी है ताकि जरूरी सेवाओं के लिए फॉरेन रिजर्व बचाया जा सके। इसके अलावा बीते साल आई बाढ़ ने भी पाकिस्तान में संकट बढ़ा दिया है। सिंध, पंजाब जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर फसलें तबाह हुई हैं। वहीं ब्लूमबर्ग का कहना है कि आईएमएफ की पाबंदियों को यदि पाकिस्तान लागू करता है तो वहां महंगाई 30 फीसदी के लेवल से ज्यादा हो सकती है।