रायपुर. राज्य में गर्मी से पहले ही बिजली की खपत रिकॉर्डतोड हो रही है। मार्च के प्रारंभ में ही खपत 53 सौ मेगावाट तक चली गई है। इसके पहले फरवरी में ही खपत 52 सौ मेगावाट तक चली गई थी। गर्मी में एक और नया रिकॉर्ड बनेगा और खपत के 57 से 58 सौ मेगावाट तक जाने की संभावना है। इसके पहले पिछले साल अप्रैल में भी खपत 53 सौ मेगावाट तक गई थी। जहां तक अपने संयंत्रों में कोयले के स्टॉक का सवाल है तो कोरबा के संयंत्रों में जहां 24 दिनों का स्टॉक है, वही मड़वा में महज पांच दिनों का स्टॉक है। कोयले की कमी से यहां की एक यूनिट बंद थी, लेकिन अब यहां की दोनों यूनिट चल रही है। लेकिन इसके बाद भी खपत की तुलना में अपना उत्पादन आधा ही हाे रहा है। पर बिजली की इसके बाद भी कमी नहीं है।
प्रदेश में लगातार बिजली के उपभोक्ता बढ़ रहे हैं। इस समय जहां 61 लाख से ज्यादा घरेलू और अन्य उपभोक्ता हो गए हैं, वहीं छह लाख से ज्यादा कृषि पंप हो गए हैं। ऐसे में खपत का ग्राफ भी लगातार बढ़ रहा है। कुछ साल पहले तक गर्मी और दीपावली में खपत 45 सौ मेगावाट तक जाती थी, लेकिन अब खपत पिछले दो साल से पांच हजार मेगावाट के पार होने लगी है।
कोयले का भरपूर स्टॉक
गर्मी में बिजली की ज्यादा खपत होने के कारण कोयले का भी भरपूर स्टॉक रखा गया है। कोरबा वेस्ट के साथ श्यामा प्रसाद मुखर्जी संयंत्र में भी 24-24 दिनों का स्टॉक है। मड़वा में ही कोयले को लेकर कुछ परेशानी है। यहां तक रेल की सुविधा न होने के कारण कोयला आने में परेशानी हो रही है। यही वजह है कि कुछ दिनों पहले एक यूनिट को बंद कर दिया गया था, लेकिन बिजली की खपत लगातार बढ़ने के कारण अब दोनों यूनिट काे चलाया जा रहा है।
भरपूर बिजली की व्यवस्था
छत्तीसगढ़ राज्य पाॅवर उत्पादन कंपनी के अपने पाॅवर प्लांटों की क्षमता 2960 मेगावाट है। आमतौर पर संयंत्रों में 80 से 85 प्रतिशत ही उत्पादन क्षमता का लिया जाता है, लेकिन इस समय 90 से 92 फीसदी उत्पादन लिया जा रहा है। इस समय सभी संयंत्रों में उत्पादन होने के कारण 26 सौ मेगावाट उत्पादन हो रहा है। सेंट्रल सेक्टर से रोज 26 से 27 साै मेगावाट बिजली लेनी पड़ रही है। वैसे सेंट्रल सेक्टर से छत्तीसगढ़ का शेयर साढ़े तीन हजार मेगावाट है। इतनी बिजली वहां से ली जा सकती है।