भरोसे का बजट : छईखदान में खुलेगा पान अनुसंधान केंद्र…

रायपुर। कभी पान की खेती के लिए अपनी पहचान रखने वाला खैरागढ़ जिले का छुईखदान को खोई हुई पहचान वापस दिलाने के लिए सरकार की कटिबद्धता नजर आ रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को बजट प्रस्तुत करते हुए छुईखदान में पान अनुसंधान केन्द्र की स्थापना एवं भवन निर्माण के लिए राशि का प्रावधान किया है. केंद्र की स्थापना को लेकर लल्लूराम डॉट कॉम ने करीबन पांच महीने पहले खबर प्रकाशित की थी.

छुईखदान पान अनुसंधान केंद्र को लेकर बजट में घोषणा के बाद लल्लूराम डॉट कॉम ने संबंधितों से जानकारी हासिल की. उद्यान अधिकारी ने बताया अब बजट में घोषणा होने के बाद रानी अवंती बाई लोधी कृषि महाविद्यालय, छुईखदान में क्षेत्र से विलुप्त हो रही पान की किस्मों पर अनुसंधान एवं लैब बनाने के लिए बिल्डिंग निर्माण का प्रस्ताव भी तैयार किया जाएगा. इसके बाद प्रदेश के राजनांदगांव, मैनपाट, गरियाबंद, खुईखदान के अलावा बिलासपुर के रतनपुर के साथ बस्तर के क्षेत्रों में पान की खेती को पंख लगने वाले हैं.

सीनियर किसानों को जोड़ा जाएगा

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय बिलासपुर के डीन आरकेएस तिवारी ने बताया प्रदेश में पान की खेती की अपार संभावना है. प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में कि गई हमारी रिसर्च के अनुसार यहां की जलवायु इस खेती के लिए अनुकूल है. राज्य सरकार की योजना के अनुसार जिन किसानों ने पान की खेती को बंद कर दिया है. उन सीनियर किसानों को जोड़ा कर कारणों पर काम चल रहा है.

फंड मिलते ही कार्य योजना होगी शुरू

पहली बार पान की खेती को राज्य सरकार ने प्रमुख फसल के रूप में शामिल किया है. राज्य सरकार की घोषणा के बाद इसे लेकर कितना फंड मिलती है, किसानों को पान की खेती के लिए प्रशिक्षण, बाजार उपलब्धता, डिमास्टेशन, बरेजा तैयार करने का तरीका, अनुदान, सब्सिडी के विषय में जानकारी उद्यानिकी विभाग देगा.

सरकार उपलब्ध कराएगी बाजार

वर्तमान में प्रदेश के एकमात्र छुईखदान क्षेत्र में ही पान की अधिक खेती हो रही है. यहां का पान नागपुर, बनारस, भंडारा, राजनांदगांव, रायपुर जैसे क्षेत्रों को पसंद किया जाता है. पान को बड़ी मंडी उपलब्ध कराने सरकार स्वयं या प्राइवट फार्म से भी इस खेती के लिए बाजार उपलब्ध कराने पर विचार कर सकती है. ऐसी स्थिति में प्रदेश के पान विदेशों में आसानी से निर्यात हो सकेंगे.

कौन की किस्म होगी बेहतर

बंगला, मंगही, कपूरी, देशावरी, मीठी पत्ती पान की कुछ ऐसी किस्में है, जिनकी मांग पर देशभर सालभर होती है. इसलिए इस दिशा में काम चल रहा है. किसानों को कौन-सी किस्म को लगाना है.

सरकार देगी सब्सिडी

पान की खेती को बढ़ा देने के लिए किसानों को अनुदान के साथ इसमें प्रदेश होने वाले संसाधनों के लिए राज्य सरकार सब्सिडी भी देगी. किसान दौलतराम साहूू ने बताया वह पहले पान की खेती करते थे. काम खत्म होने के कारण अब धान फसल लेना शुरू कर दी. उन्होंने बताया पान की खेती में एक एकड़ में करीब एक लाख रुपए आता है, तो उसका फायदा दस एकड़ के बराबर होता है.

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