पणजी, केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरण रिजिजू ने सोमवार को कहा कि वांछित परिणाम हासिल करने के लिए कानून आम आदमी की समझ में आना चाहिए।
श्री रिजिजू ने यहां आयोजित 23वें राष्ट्रमंडल कानून सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सुशासन के कई पहलू और विशेषताएं हैं। उद्देश्य या लक्ष्य यह देखना है कि भ्रष्टाचार को कम से कम किया जाए और समाप्त किया जाए साथ ही निर्णय लेने में समाज के सबसे कमजोर लोगों की आवाज सुनी जाए।
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार न केवल व्यापार करने में आसानी बल्कि जीवन को आसान बनाने पर जोर देकर सुशासन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कानून के शासन की अवधारणा की बड़ी भूमिका है।
मंत्री ने कहा कि सरकार ने अप्रचलित और पुरातन कानूनों को निरस्त करने के लिए एक बड़ी कवायद की है और पिछले 08 वर्षों में क़ानून की किताब से 1486 को हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि आने वाले संसद सत्र में केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय 65 अप्रचलित कानूनों तथा ऐसे अन्य प्रावधानों को निरस्त करने के लिए एक विधेयक लाने की तैयारी में है।
श्री रिजिजू ने इस बारे में भी बताया कि कैसे सरकार प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने भारतीय न्यायपालिका को पूरी तरह से कागज रहित बनाने के उद्देश्य से ई-अदालतों के तीसरे चरण की शुरुआत की है। ईज ऑफ लिविंग और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मोर्चे पर उन्होंने बताया कि लगभग 13,000 अनुपालन बोझ को सरल बनाया गया है जबकि 1,200 से अधिक प्रक्रियाओं को डिजिटाइज किया गया है।
कानून मंत्री ने न्याय व्यवस्था में आम लोगों की कठिनाइयों को कम करने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों जैसे वर्चुअल कोर्ट, ई-सेवा केंद्र और उच्च न्यायालयों में सूचना कियोस्क का वर्णन किया। उन्होंने उच्च न्यायालयों और जिला न्यायालयों में याचिकाओंव सहायक दस्तावेजों की ई-फाइलिंग के लिए स्थापित प्रणालियों की भी बात की। इसने वकीलों को अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी समय मामला दर्ज करने में सक्षम बनाया।