नई दिल्ली. शेयर बाजार में निवेश के लिए सबसे अधिक होम-वर्क की आवश्यकता पड़ती है। अगर बेहतर रिसर्च नहीं किया है तो स्टॉक मार्केट में नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है। शेयर बाजार में बड़ी संख्या में ऐसे निवेशक हैं जो मार्केट के बुलिश नजर आने पर कंपनी की वैल्यूएशन को नजरअंदाज कर जाते हैं। यही वजह है कि कोविड के बाद निवेशक अडानी ग्रुप के स्टॉक, वेदांता, टाटा पावर आदि कंपनियां के शेयरों में आई तेजी इसका उदाहरण है। ऐसे निवेशकों को जेरोधा के सीईओ और फाउंडर नीतिन कामथ ने एक सलाह दी है।
कंपनियों के हाई वैल्यूएशन पर जेरोधा के सीईओ नीतिन कामथ कहते हैं कि हाई वैल्यूएशन अधिकतर बार बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है। निवेशकों की सलाह दी जाती है कि ऐसे अपवादों को नियम बनाने से बचना चाहिए। नितिन कामथ कहते हैं, “हम किसी कंपनी के वैल्यूएशन को देखकर खुश होते हैं। लेकिन जितना मैं फाउंडर से बात करता हूं उतना मुझे लगता है कि हाई वैल्यूएशन हानिकारक है। हाई वैल्यूएशन अधिकतर बार बढ़ाचढ़ा कर परिणाम है।”
नितिन कामथ के अनुसार, “उन कंपनियों को देखकर दुख होता है जो अवास्तिवक मूल्यांकन के जरिए पैसा जुटाती हैं। हाई वैल्यूएशन अधिक खर्च करने के लिए लोगों को मजबूरी करती है। वहीं, अपने मूल्यांकल को सही ठहराने के लिए उसी रफ्तार में आगे बढ़ना हर बार संभव नहीं होता है।”