आजकल काला नमक चावल काफी चर्चा में है. चावल की यह किस्म न केवल भारत में बल्कि जापान, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड और भूटान सहित बौद्ध धर्म के मानने वाले कई देशों में काफी लोकप्रिय हो गई है. इस धान से निकला चावल सुगंध, स्वाद और सेहत से भरपूर होता है. काला नमक धान अब तक की सबसे उन्नत व प्रसिद्ध किस्म है. काला धान का बाजार मूल्य 400 से 800 किलोग्राम के बीच होता है.
400 से 800 रुपए प्रति किग्रा तक बिकने वाले काला धान की खेती से किसानों के सपने पूरे होंगे इसकी खेती में खाद, कीटनाशक का उपयोग नहीं होता, जिस वजह से इसकी खेती में लागत कम आती है, इसके चावल में रसायनों का खतरा भी नहीं होता. बातें राइस की यह किस्म आज पूर्वांचल की एक नई पहचान बनकर उभरी है. मूलत: दक्षिण कोरिया और चीन की प्रजाति है. इस धान की खेती के लिए भारत में मणिपुर और छत्तीसगढ़ का पर्वतीय क्षेत्र मशहूर हैं.
मनमोहक सुगंध के साथ शुगर फ्री होता है
तमाम गुणों से भरपूर काला नमक धान को यहां के वैज्ञानिकों ने शोध करके शुगर फ्री बनाया है. यह मधुमेह से पीड़ित मरीजों के लिए काफी लाभकारी है. काला नमक धान की तीन से चार फीट लंबी लटकती काली बाली और मनमोहक सुगंध लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है.
किसानों को मालामाल कर देगा ये काला नमक
काला नमक चावल की बढ़ती लोकप्रियता की वजह से काफी किसान इसके बारे में अधिक से अधिक जानना चाह रहे हैं, ताकि इसकी उन्नत खेती कर अच्छी उपज व मुनाफा कमा सकें. अगर आप भी उस क्षेत्र विशेष से संबंध रखते हैं, जहाँ आप इसकी खेती व्यावसायिक स्तर पर कर सकते हैं, तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा. अगर आप कालानमक किरण खेती करने जा रहे हैं तो पहले से तैयार जैविक खेत का ही प्रयोग करें. इससे आपको अधिक व अच्छी उपज प्राप्त होगी.
एक एकड़ से 22 क्विंटल तक की पैदावार
धान की इस किस्म को खास पहचान मिली है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इसकी खेती किसानों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है. दरअसल, इसकी कीमत बासमती राइस से भी अधिक होती है. चावल की इस किस्म का नाम काला नमक किरण है. जिससे प्रति एकड़ 22-23 क्विंटल तक उत्पादन हो सकता है.
सिंगापुर में सबसे ज्यादा डिमांड, कई देशों में निर्यात
चावल की इस विशेष किस्म में शुगर नहीं होता है लेकिन प्रोटीन, आयरन और जिंक जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसमें जहां जिंक चार गुना, आयरन तीन गुना और प्रोटीन दो गुना अन्य किस्मों की तुलना में अधिक पाया जाता है. यही वजह है कि इसकी विदेशों में भी मांग शुरू हो गई है. 2019-20 में कई देशों में इसको निर्यात किया गया है.