मुंगेली। छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार (Adarsh Upaj Mandi in Mungeli) द्वारा किसानों की जीवन चर्या में बदलाव लाने, उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने कई योजनाएं संचालित की जा रही है, जिसका सीधा लाभ किसानों को मिलता है. एक तरफ सरकार के नुमाइंदे जहां किसान हितैषी बताने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं तो वहीं मुंगेली जिले में किसान से जुड़े विभाग के अधिकारी ही भूपेश सरकार के मेहनत में पलीता लगाने और पानी फेरने में आतुर हैं. मंडी के अधिकारी-कर्मचारी किसानों पर सितम ढा रहे हैं.
दरअसल, मामला जिला मुख्यालय स्थित कृषि उपज मंडी का है. जहां अपनी मेहनत का उपज लेकर मंडी पहुंचे किसानों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. आलम ये है कि यहां किसानों के लिए न तो उचित पानी का इंतजाम है और न ही प्रसाधन की कोई व्यवस्था है. ये सब बातें हम नहीं बल्कि मंडी में उपज लेकर पहुंचे किसानों ने दर्द बयां किया. किसानों का आरोप है कि यहां पहुंचे किसानों को उपज की नीलामी के वक्त न तो कर्मचारियों के द्वारा उपज की कीमत की जानकारी दी जाती है और न ही समर्थन मूल्य से संबंधित बोर्ड पर कोई जानकारी चस्पा की जाती है.
शिकायत करने पर मिलती है प्रताड़ना
किसानों का कहना है कि जब किसी किसान के द्वारा यहां की अव्यवस्था को लेकर किसी अधिकारी या कर्मचारी से शिकायत की जाती है तो किसानों की समस्याओं को सुलझाने की बजाय उल्टा उन्हें डांट फटकार कर चुप करा दिया जाता है. उन्हें प्रताड़ना का भी सामना करना पड़ता है. यही वजह है कि किसान चाह कर भी शिकायत नहीं करते और यहां के अधिकारी एवं कर्मचारियों का दबंगई एवं मनमानी बदस्तूर जारी है.
सवालों से बिफरे मंडी निरीक्षक ने कहा- जो छापना है छाप लो
मंडी सचिव केशव प्रसाद सिदार से जब यहाँ किसानों द्वारा बताए गए अव्यवस्थाओं के बारे में पूछा गया तब उन्हें खुद ही यह कन्फर्म नहीं था कि रेट सूची मंडी में लगती है या नहीं. इस दौरान वे बगल झांकते हुए अपने अधीनस्थ कर्मचारी से ऑन कैमरा ही पूछने लगे कि रेट लिस्ट लगता भी है कि नहीं.
15 साल से एक ही जगह पर जड़ जमाए बैठे निरीक्षक
वहीं मीडिया के सवालों से तमतमाए मंडी निरीक्षक लक्ष्मी प्रसाद सोनी जवाब देने की बजाय इतना बौखला गए और कि कहने लगे कि यहां सब कुछ ऑल इज वेल है, जिसको जो करना है कर ले, जो छापना है छाप लो. कुछ किसानों ने यह भी कहा कि 15 साल से एक ही जगह पर पदस्थ निरीक्षक साहब का कांफिडेंस लेवल इसलिए भी बढ़ा हुआ है कि उन्हें विभागीय पॉलिटिकल दोनों संरक्षण प्राप्त है. तभी अब वे मनमानी और दबंगई पर उतर आए हैं.
मंडी नियमों की उड़ी धज्जियां, नही टांग पाए रेट लिस्ट
मुंगेली के आदर्श कृषि मंडी में मंडी नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है, जिसके वजह से किसानों के साथ अन्याय किया जा रहा है. किसानों का दर्द सुनने के लिए यहां अब कोई नजर नहीं आ रहा. बेबस किसानों का कहना है कि अपनी समस्या सुनाएं तो सुनाएं भी किसे. यहां के अधिकारी और कर्मचारियों की सांठगांठ की वजह से ही व्यापारी मनमानी तरीके से किसानों के अनाज की खरीदी कर रहे हैं. मेहनत के अनुरूप उन्हें प्रतिफल भी नहीं मिल पा रहा है. यहां नियम के अनुसार रोजाना अनाज के न्यूनतम व अधिकतम मूल्य आसपास के जिलों के साथ दर्ज करने की अनिवार्यता है, जिससे यहां किसानों को मंडी द्वारा निर्धारित मूल्यों की जानकारी हो सके.
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