विधानसभा घेरने जा रहे डॉक्टरों पर पुलिस ने बरसाई लाठियां, कपड़े फाड़ने और बदसलूकी करने का आरोप

जयपुर. राजस्थान सरकार के राइट टू हेल्थ बिल (right to health bill) के विरोध में विधानसभा का घेराव करने निकले डॉक्टर्स पर पुलिस ने लाठियां बरसा दी. सोमवार को ये सभी चिकित्सक बिल के खिलाफ प्रदर्शन करते विधानसभा की ओर बढ़ रहे थे. इस दौरान स्टेच्यू सर्कल के पास पुलिस ने सभी को रोक लिया. जब भीड़ अनियंत्रित हो गई तब पुलिस ने उन पर लाठियां चला दीं. वहीं कुछ डॉक्टरों के कपड़े भी फाड़ दिए गए.

इस प्रदर्शन में 2400 से ज्यादा प्राइवेट हॉस्पिटल के संचालक शामिल हुए. सभी डॉक्टर्स और हॉस्पिटल संचालक जयपुर मेडिकल एसोसिएशन के सभागार में जुटे. यहां उन्होंने बिल के विरोध में अपनी-अपनी बात रखी. जिसके बाद सभी 12 बजे सभी ने विधानसभा की ओर कूच किया. जेएलएन मार्ग होते हुए डॉक्टर्स त्रिमूर्ति सर्किल गए पहुंचे. यहां से नारायण सिंह सर्किल होते हुए सेंट्रल पार्क के सामने से स्टैच्यू सर्किल पहुंचे. जहां डॉक्टरों की पुलिस से झड़प हुई.

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पुलिस ने पुरुष डॉक्टर्स के साथ ही महिला डॉक्टर्स के साथ मारपीट की और उनके कपड़े फाड़ दिए. इधर, कुछ दिन पहले इस बिल का समर्थन करने वाली जॉइंट एक्शन कमेटी भी अब वापस बिल के विरोध में उतर गई है. इस कमेटी का गठन डॉक्टरों की यूनियन ने ही किया था.

क्या है Right to Health bill ?

राजस्थान सरकार ने राइट टू हेल्थ बिल लागू करने के लिए इसका मसौदा तैयार कर लिया है. बिल के लागू होते ही मरीजों को स्वास्थ्य का अधिकार देने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन जाएगा.

मरीजों को निजी हॉस्पीटल में भी आपातकालीन स्थिति में निशुल्क इलाज मिल सकेगा.
बिल के नियमें के तहत आउट डोर पेशेंट्स (OPD), इनडोर भर्ती पेशेंट्स, डॉक्टर को दिखाना और परामर्श, दवाइयां, डायग्नोसिस, इमरजेंसी ट्रांसपोर्टेशन यानी एम्बुलेंस सुविधा, प्रोसीजर और सर्विसेज, इमरजेंसी ट्रीटमेंट मिलेगा.
प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति का हेल्थ इंश्योरेंस सरकार अपने स्तर पर करवाएगी.
अब डॉक्टरों द्वारा दिए जा रहे इलाज की जानकारी मरीज और उसके परिजन ले सकेंगे.
फीस या चार्ज के एडवांस पेमेंट के बिना इमरजेंसी कंडीशन के दौरान बिना देरी किए प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर जरूरी इमरजेंसी ट्रीटमेंट फैसिलिटी और इंटेंसिव केयर, इमरजेंसी डिलेवरी और ट्रीटमेंट देंगे।
कोई मेडिको-लीगल मामला है, तो हेल्थ केयर प्रोवाइ़डर केवल पुलिस की एनओसी या पुलिस रिपोर्ट मिलने के आधार पर इलाज में देरी नहीं करेगा.
किसी भी तरह की महामारी के दौरान होने वाले रोगों के इलाज को इसमें शामिल किया गया है.
इलाज के दौरान यदि मरीज की अस्पताल में मौत हो जाती है और अस्पताल में इलाज का भुगतान नहीं होता है तब भी डेड बॉडी को अस्पताल रोक नहीं सकेंगे.
किसी मरीज को गंभीर स्थिति में दूसरे हॉस्पीटल में रैफर करने की जिम्मेदारी अस्पताल की होगी.
सर्जरी, कीमोथैरेपी की पहले से ही सूचना देकर मरीज या उसके परिजनों से सहमति लेनी होगी.
किसी मेल वर्कर की ओर से महिला पेशेंट के फिजिकल टेस्ट के दौरान महिला की उपस्थिति जरूरी होगी.
उपलब्ध ऑप्शनल ट्रीटमेंट मेथड का सलेक्शन मरीज कर सकेगा.
हर तरह की सर्विस और फैसिलिटी की रेट और टैक्स के बारे में सूचना पाने का हक मिलेगा.
निजी अस्पतालों को भी मरीज की बीमारी को गोपनीय रखना होगा.
इसके अलावा इंश्योरेंस स्कीम में चयनित अस्पतालों में निशुल्क उपचार का अधिकार होगा.
रोड एक्सीडेंट्स में फ्री ट्रांसपोर्टेशन, फ्री ट्रीटमेंट और फ्री इंश्योरेंस कवर इस्तेमाल होगा.
कोई व्यक्ति एक्ट के नियमों का उल्लंघन करता है तो पहली बार 10 हजार और दूसरी बार 25 हजार का जुर्माना देना होगा.
इस बिल में मरीज और उनके परिजनों को लेकर भी कुछ कर्तव्य निर्धारित किए गए हैं. स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता के साथ मरीज या उसके परिजन दुर्व्यवहार नहीं करेंगे. साथ ही अप्राकृतिक मृत्यु के मामले में पोस्टमार्टम करने की अनुमति देनी होगी.

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