CM के ड्रीम प्रोजेक्ट आत्मानंद स्कूलों में मानक सामग्री का बिल बनाकर खपाए अमानक सामान, जानिए पूरा मामला…

गरियाबंद. अफसर बदले पर शिक्षा विभाग में गड़बड़ी थमने का नाम नहीं ले रहा. इस बार सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वामी आत्मानंद स्कूल में फर्नीचर सप्लाई में गड़बड़ी सामने आई है. अनुबंध में तय मानक के बजाए जिले के छुरा, मैनपुर व देवभोग के आत्मानंद में स्तरहीन सामग्री की सप्लाई कर दी.

डीएमएफ फंड से जिले के छुरा, मैनपुर व देवभोग विकासखंड में 30 लाख रुपए से फर्नीचर खरीदी में गड़बड़ी हुई है. रुपए के आबंटन से लेकर खरीदी की प्रक्रिया नियमतः ई मानक पोर्टल से तो हुई पर तय मानक के सामग्री न देकर स्तर व प्रकार में कमी कर दिया गया. खरीदी के एवज में 18 जनवरी को डीईओ डीएस चैहान ने अनुबंधित फर्म केशरी वायर प्रोडस्ट्स के नाम 29 लाख 82478 रुपए के तीन चेक भी जारी कर भुगतान कर दिया है. मामले में डीईओ ने कहा कि पैसे डीएमएफ मद के थे. केवल एजेंसी डीईओ को बनाया गया था. भुगतान के पूर्व जिला पंचायत की टीम ने भौतिक सत्यापन भी किया है. इन्ही रिपोर्ट के आधार पर ही भुगतान हुआ है.
सप्लाई सामग्री में ये खामियां पाई गई

स्कूलों में सप्लाई फर्नीचर में भौतिक सत्यापन के दरम्यान कई खामियां पाई गई है. अनुबंधित फर्म का सप्लाई ऑर्डर,डिलवरी चालान एंव बिल लल्लूराम डाॅट काम के पास मौजूद है. फर्म द्वारा संस्थाओं को दिए गए बिल के मुताबिक आइटम नंबर 5 में प्रत्येक संस्था को 20-20 फ्लेक्सिबल बेक ऑफिस चेयर देना बताया गया है, जबकि इसके बदले फिक्सड चेयर थमाया गया है, जिसकी कीमत में 300 रुपए का अंतर है. आइटम नंबर 8 पर 1450 रुपए प्रति नग कीमती स्टिल स्टूल विथ कुशन का जिक्र है, जबकि इसके बदले लोहे पाइप का 800 से भी कम कीमत का स्टूल थमाया गया है. कम्यूटर चेयर, एग्जीकेटिव टेबल भी अमानक स्तर के हैं. डबल सीट जूनियर टेबल बेंच के प्लेट की मोटाई तय गेज से कम है. इतना ही नहीं जूनियरों के लिए किए गए सप्लाई बताकर सीनियर छात्रों के हाइट के मुताबिक टेबल थमाया गया है.
भौतिक सत्यापन के दौरान टीम ने जताई थी आपत्ति

12 अप्रैल 2022 को फर्म को वर्क आर्डर जारी कर दिया गया था. इस आर्डर के मुताबिक फर्म ने छुरा में 23 अप्रैल 2022 को, देवभोग में 4 मई 2022 को व मैनपुर में 23 मई 2022 को सामग्रियों की डिलवरी दे दिया. स्कूल स्तर पर कलेल्टर के समक्ष सप्लाई सामग्री में आपत्ति दर्ज कराई गई तो कलेक्टर के निर्देश पर 24 व 25 जनवरी को जिला पंचायत सीईओ ने टीम भेजकर सामग्री का भौतिक सत्यापन कराया. सहायक परियोजना अधिकारी जीके गजभिये के नेतृत्व में टीम सभी जगह सत्यापन करने पहुंची. बताया जाता है कि सामग्री का स्तर देखकर टीम ने पहले ही रिसीव करने वाले टीचरों को फटकार लगाई. उन्होंने कहा कि बिल व सामग्री में इतना अंतर के बाद रिसीव क्यों किया गया.
अफसर बदलते ही हो गया भुगतान

टीम ने सत्यापन प्रतिवेदन जिला सीईओ को सौंप दिया. तत्कालीन जिपं सीईओ रोक्तिमा यादव ने रिपोर्ट के आधार पर भुगतान के लिए हाथ खड़े कर दिया, लेकिन अफसर के बदलते ही 18 मार्च को हुए भुगतान ने कई सवाल खड़ा कर दिया है. सत्यापन को लीड कर रहे अधिकारी जीके गजभिये ने कहा कि जो दिखा वही लिखे. प्रतिवेदन जिला सीईओ को सौंप दिए थे. रिपोर्ट में क्या है जानना है तो जिला सीईओ से बात कीजिये, हम बताने के लिए अधिकृत नहीं हैं. मामले में नए जिला पंचायत सीईओ रीता यादव ने कहा कि मुझे जानकारी नहीं है. वैसे भी डीएमएफ फंड के लिए प्रमुख कलेक्टर होते हैं, उनसे बात कर लें.
तीन साल के भीतर 3 अफसर बदले

शिक्षा विभाग खरीदी के नाम पर हो रहे घोटेले से लगातार सुर्खियों में रहा. 2019 में 4 करोड़ के व्हाइट खरीदी घोटाले में भोपाल ताण्डेय हटाए गए थे. जांच में दोषी पाए तो 2022 में निलंबित किए गए. इसके बाद करमन खटकर को प्रभार मिला. विभिन्न खरीदी व स्थानांतरण मामले में गड़बड़ी करने के चलते उन्हें हटाया गया. 7 दिसंबर 2022 से डीएस चौहान को अस्थाई प्रभार दिया गया है, लेकिन इनके कार्यकाल में भी पदोन्नति के मामले में कई गड़बड़ियों के आरोप लग रहे हैं. अब शिकायत व पूर्व सूचना के बावजूद कार्यालयीन छुट्टी के दिन 18 मार्च को फर्नीचर सप्लाई फर्म को चेक जारी करने का आरोप लग रहा है.

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