भाजपा ने बिहार में लॉन्च कर दिया असम मॉडल, हिमंत बिस्वा सरमा की तरह है सम्राट चौधरी के तेवर

नई दिल्ली। बिहार में अध्यक्ष बदलने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक नए तेवर में नजर आ रही है। करीब 20 वर्षों से बिहार की गद्दी पर राज करने वाले नीतीश कुमार को टक्कर देने के लिए युवा सम्राट चौधरी को उतारा है। भाजपा ने नया अध्यक्ष चुनने के लिए जाति समीकरण तो ध्यान में रखा ही है, लेकिन एक नया प्रयोग भी किया है। एक-दो अपवाद को छोड़कर भगवा पार्टी ने अपना अध्यक्ष चुनते समय उसकी आरएसएस वाली पृष्ठभूमि का ध्यान रखा करती थी। लेकिन कभी आरजेडी के दिग्गज नेता रहे शकुनी चौधरी के बेटे को कमान देते समय इसे नजरअंदाज किया गया।

भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार बीजेपी के सहप्रभारी हरीश द्विवेदी को असम की तर्ज पर दूसरी पार्टी से आए किसी ऐसे नेता का चुनाव करने के लिए कहा था, जो जाति के हिसाब से भी फिट बैठ रहा हो। हरीश द्विवेदी ने आदेश मिलते ही इस विषय पर काम करने शुरू किया और अक्सर नीतीश कुमार को सदन में चुनौती देने वाले सम्राट चौधरी को इस पद के लिए सबसे फिट पाया।

सम्राट चौधरी बिहार के चर्चित लव-कुश समीकरण की सबसे बड़ी जाति कुशवाहा से आते हैं। बीजेपी को उनकी जाति के अलावा उनकी युवा छवि का लाभ मिलने की भी संभावना दिख रही है।

हिमंत बिस्वा सरमा से क्या है समानता?
कभी कांग्रेस के दिग्गज रहे हिमंत बिस्वा सरमा आज भाजपा के उभरते हुए दिग्गज नेताओं में एक है। बीजेपी ने सरमा को असम का मुख्यमंत्री बनाने के बाद नार्थ-ईस्ट की कमान भी सौंप दी है। उन्हें अब पूर्वोत्तर में बीजेपी का चाणक्य माना जाता है। पूर्व कांग्रेसी सरमा को राहुल गांधी के सबसे बड़े आलोचक के तौर पर भी देखा जाता है। कांग्रेस छोड़ने के लिए उन्होंने राहुल के व्यवहार को ही जिम्मेदार माना जाता है। सरमा के कांग्रेस छोड़ने के बाद पूर्वोत्तर में देश की सबसे पुरानी पार्टी को काफी नुकसान हुआ और बीजेपी काफी तेजी से आगे बढ़ी है।

बिहार बीजेपी के नए अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने भी नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल करने की कसम खा रखी है। इसके लिए उन्होंने अपने सिर पर पगड़ी बांद रखी है। उनका कहना है कि जब तक नीतीश कुमार को बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा नहीं देते हैं तब तक पगड़ी नहीं उतारेंगे। नीतीश कुमार के खिलाफ उनके स्प्ष्ट तेवर ने उन्हें अध्यक्ष बनने में मदद की है।

बीजेपी ने राहुल गांधी के खिलाफ हिमंत बिस्वा सरमा के तेवर का इस्तेमाल असम सहित नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में अपनी पैठ बनाने के लिए किया। ठीक उसी तरह, सम्राट चौधरी के तेवर का इस्तेमाल बिहार में पार्टी के विस्तार के लिए करने की कोशिश करती दिख रही है। हालांकि, नीतीश कुमार जैसे मंजे हुए खिलाड़ी को साधना देश की सबसे बड़ी पार्टी के लिए आसान नहीं होगा। वह समय-समय पर अपने दांव से विरोधियों को चौंकाते रहते हैं।

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