छत्तीसगढ़ / जगदलपुर । पौराणिक कथाओं और किवदंतियों के अनुसार बस्तर की पावन धरा दैवीय शक्तियों से परिपूर्ण है। माना जाता हैकि सतयुग में माता सती के अंग विच्छेद के बाद उनका दांत हिस्सा दंतेवाड़ा में शंकनी डंकनी नदी के किनारे पहाड़ों पर गिरा जिससे वहां शक्तिपीठ स्थापित हुई। लेकिन दुर्भाग्य की बात है की भारत को आज़ाद हुए आज ७५ वर्ष बीत गए और यहां राजनैतिक हवाओं का रुख बदलने की ताकत रखने वाली बड़ी राष्ट्रीय दलों द्वारा महिलाओं को विधानसभा में जाने का अवसर नही दिया गया।
जनसभा के प्रदेश अध्यक्ष अरूण पाण्डेय ने भाजपा और कांग्रेस दोनो दलों के स्थानीय नेताओं सहित शीर्ष नेतृत्व पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जगत जननी मां दंतेश्वरी के धरा पर महिलाओं का ऐसा अपमान उन्हे नही करना चाहिए था। उन्होंने कहा की महिलाओं को कमज़ोर समझने की भूल भाजपा और कांग्रेस के लोगों में किया है और यही वज़ह होगी जिस कारण उन्होंने आजादी के ७५ वर्षों बाद भी किसी महिला को विधानसभा का सदस्य बनाने के लिए अपनी का पार्टी का टिकिट नही दिया।
• आगामी विधानसभा चुनाव में जनसभा के सभी प्रत्याशी महिलाएं होंगी
मीडिया से बात करते हुए जनसभा के अध्यक्ष अरुण पाण्डेय ने बताया की बस्तर के विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं में संविदा पर कार्यरत कर्मचारी, लाखो युवा और छात्र छात्राएं संगठन के सदस्य हैं। छत्तीसगढ में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में पूरी मजबूती से संगठन से जुड़े साथियों के साथ वे मैदान में उतरेंगे। उन्होंने बताया की बाइट ८ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम के दौरान ही उन्होंने महिला कामगारों को संबोधित करते हुए आगामी विधानसभा चुनाव में महिलाओं को टिकिट देने की सार्वजनिक रूप से घोषणा कर दिया था। इस प्रकार आगामी विधान सभा चुनाव में जनसभा बस्तर के सभी सीटों पर अपने विधायक प्रत्याशी के रूप में महिलाओं को ही टिकिट देगी। जानकारों का मानना है कि लगातार गरीब तबके के लोगों के लिए संघर्ष करने वाली संस्था जनसभा द्वारा ऐसी घोषणा के बाद राष्ट्रीय दलों में भी प्रत्याशी चयन को लेकर असमंजस की स्तिथि उत्पन्न हो सकती है।