अदानी ग्रुप की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं। हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप को भारी नुकसान उठाना पड़ा था, जिसके बाद अडानी ग्रुप पर कर्ज चुकाने (Guatam Adani Group) का दबाव बनने लगा था. तब केन की रिपोर्ट ने अडानी को एक बड़ी मुसीबत दी और अब बाजार नियामक SEBI अडानी समूह के सौदों की जांच करने जा रहा है.
रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय बाजार नियामक अडानी समूह के साथ तीन कंपनियों के सौदों की जांच कर रहा है, जो गौतम अडानी के भाई से संबंधित हैं। सेबी इन संस्थाओं के साथ लेनदेन के उल्लंघन की जांच कर रहा है।
सेबी जांच का एंगल विनोद अडानी डायरेक्टर है या मालिक
मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि तीनों संस्थाओं ने कथित तौर पर पिछले 13 वर्षों में अरबपति गौतम अडानी के पोर्ट-टू-पावर समूह की गैर-सूचीबद्ध इकाइयों के साथ कई निवेश लेनदेन किए। रिपोर्ट के मुताबिक, सेबी ने अपनी जांच में यह कहते हुए ऐंगल रखा है कि विनोद अडानी या तो उन तीन कंपनियों के बेनिफिशियल ओनर हैं या डायरेक्टर हैं। सेबी ‘संबंधित पार्टी लेनदेन’ मानदंडों के उल्लंघन की जांच कर रहा है।
क्या है ‘रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन’ रूल ?
‘रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन’ यानी अगर कोई कंपनी अपनी ही किसी कंपनी से लेन-देन करती है तो उसे इस नियम का उल्लंघन माना जाता है।
कंपनी ने विनोद अडानी को प्रमोटर बताया है
अडानी ग्रुप की ओर से सेबी के ई-मेल की जानकारी नहीं दी गई है। सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अडानी जांच पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। वहीं, अदानी ग्रुप की ओर से दिए गए एक बयान में कहा गया कि विनोद अडानी केवल अदानी ग्रुप के प्रमोटर हैं।