सनातन धर्म में चैत्र पूर्णिमा (Chaitra Purnima) का विशेष महत्व है. इसकी एक वजह यह भी है कि यह हिंदू वर्ष का प्रथम माह माना जाता है. इस दिन व्रत भी रखा जाता है. इस साल में चैत्र पूर्णिमा तिथि 5 अप्रैल 2023 से शुरू है और अगले दिन 6 अप्रैल 2023 सुबह 10:00 बजे तक है. अगर 5 अप्रैल को व्रत रहते हैं तो पूर्णिमा के चांद के दर्शन कर सकेंगे. कहा जाता है कि चैत्र पूर्णिमा का व्रत करने से व्रती की सभी कामनाओं की पूर्ति होती है. ध्यान बस इस बात का रखना होता है कि पूरे विधि-विधान से व्रत रखकर पूजा-अर्चना की जाए. अन्यथा व्रत का फल नहीं मिलता.
तो आइए आज 5 अप्रैल यानी कि चैत्र पूर्णिमा (Chaitra Purnima) के शुभ अवसर पर जानते हैं कि इस दिन व्रत रखने और पूजा करने का क्या नियम है? चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु के उपासक श्री सत्यनारायण की पूजा करके उनकी कृपा पाने के लिए पूर्णिमा का उपवास करते हैं. स्कंद पुराण के अनुसार श्री सत्यनारायण भगवान, श्री हरि विष्णु का ही दूसरा स्वरूप हैं इसीलिए उनकी उपासना का विधान है.
चैत्र पूर्णिमा तारीख और मुहूर्त
चैत्र पूर्णिमा की तारीख को लेकर असमंजस है. बता दें कि पूर्णिमा तिथि का आरंभ 5 अप्रैल को सुबह 9 बजकर 20 मिनट से होगा और यह अगले दिन यानी 6 अप्रैल 2023 की सुबह 10 बजकर 5 मिनट तक रहेगी. इसलिए जो लोग पूर्णिमा का व्रत करते हैं वह 5 अप्रैल को पूर्णिमा का व्रत रख सकते हैं. वहीं 6 अप्रैल को उदया तिथि में पूर्णिमा होने के कारण हनुमान जयंती का पर्व 6 अप्रैल को मनाया जाएगा. वहीं पूर्णिमा तिथि के दिन शाम की पूजा का विशेष महत्व है इसलिए जो लोग पूर्णिमा तिथि का व्रत रखते हैं वह 5 अप्रैल को अपना व्रत रखेंगे. 5 अप्रैल को ही सत्यनारायण व्रत रखा जाएगा.