इस्लामाबाद. आर्थिक और राजनीतिक परेशानी से जूझ रहे पाकिस्तान के सामने एक नई चुनौती सिर उठाने लगी है। यह चुनौती है विदेशी कर्ज और उसे चुकाने की समय सीमा। एक अमेरिकी शोध संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि पाकिस्तान के सामने दिवालिया होने का खतरा मंडरा रहा है। इस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने रिपोर्ट में कर्ज की रकम और इसे चुकाने का समय सीमा तक का जिक्र किया है। बता दें कि पाकिस्तान में इन दिनों जबर्दस्त कैश क्राइसिस है। लोगों के पास खाने के सामान खरीदने तक के पैसे नहीं हैं। सरकार द्वारा बांटे जा रहे फ्री राशन की लाइनों में भगदड़ मचने से अब तक में कई लोग जान गंवा चुके हैं।
रिपोर्ट में यह है दावा
अमेरिका स्थित शीर्ष शोध संस्थान यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पीस (यूएसआईपी) ने अपनी एनालिटिकल रिपोर्ट में पाकिस्तान के लिए वॉर्निंग जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान को अप्रैल 2023 से जून 2026 के बीच 77.5 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज चुकाना है। ऐसे में नकदी संकट से जूझ रहे देश के सामने दिवालिया होने का खतरा है। रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि इसके चलते पाकिस्तान को काफी खतरनाक समस्याओं का सामना करना पड़ा सकता है। जियो न्यूज ने गुरुवार को यूएसआईपी के हवाले से बताया कि आसमान छूती महंगाई, राजनीतिक संघर्ष और बढ़ते आतंकवाद के बीच पाकिस्तान बड़े पैमाने पर विदेशी ऋण देनदारियों के कारण दिवालिया होने के जोखिम का सामना कर रहा है।
सिर्फ तीन साल का वक्त
पाकिस्तान इस समय उच्च विदेशी ऋण, कमजोर स्थानीय मुद्रा और घटते विदेशी मुद्रा भंडार से जूझ रहा है। यूएसआईपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अप्रैल 2023 से जून 2026 तक पाकिस्तान को 77.5 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज चुकाना है। 350 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए यह बहुत बड़ी रकम है। रिपोर्ट में कहा गया कि अगर पाकिस्तान यह लोन चुकाने में कामयाब नहीं होता तो इसके नतीजे बेहद खतरनाक हो सकते हैं। पाकिस्तान को अगले तीन वर्षों में चीनी वित्तीय संस्थानों, निजी कर्जदाताओं और सऊदी अरब को बड़ा भुगतान करना है।
हालात हैं खराब
बता दें कि पाकिस्तान बीते कुछ अरसे से लगातार जूझ रहा है। एक तरफ वह पैसों के लिए मोहताज है, वहीं दूसरी तरफ उसके सामने राजनीतिक चुनौतियां भी कम नहीं हैं। बीते दिनों पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को गिरफ्तार करने पुलिस उनके घर तक पहुंच गई थी। वहीं, आर्थिक तंगी से बचने के लिए पाकिस्तान अलग-अलग जगहों से कर्ज की गुहार लगा रहा है, लेकिन फिलहाल उसे कहीं से मदद मिलती नजर नहीं आ रही है। यहां तक कि आईएमएफ ने लंबे अरसे तक उसकी मांग मंजूर नहीं की है। कुल मिलाकर अब उसकी उम्मीद चीन और अन्य खाड़ी देशों पर टिक गई है।