कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि मामले में सजा को लेकर दायर याचिका पर सूरत कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई. कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है. बताया जा रहा है कि कोर्ट 20 अप्रैल को फैसला सुना सकती है. दरअसल, राहुल गांधी ने कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी सजा पर रोक लगाने की मांग की है.
इससे पहले सूरत की एक सेशन कोर्ट में सुनवाई के दौरान राहुल गांधी के वकील आरएस चीमा ने कहा कि राहुल गांधी वायनाड से रिकॉर्ड संख्या में वोट जीतकर लोकसभा पहुंचे थे और दोषी ठहराए जाने के बाद उनकी संसद की सदस्यता खत्म होना एक बड़ा नुकसान है.
उन्होंने अपने मुवक्किल राहुल गांधी की ओर से कहा कि मेरा भाषण मानहानिकारक नहीं था, लेकिन संदर्भ से हटकर इसे मानहानिकारक बना दिया गया. दरअसल, मेरे खिलाफ कार्रवाई इसलिए की गई, क्योंकि मैंने खुले तौर पर प्रधानमंत्री की आलोचना की थी. मेरे खिलाफ गलत तरीके से मुकदमा चलाया गया.
चीमा ने कहा कि राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में भाषण दिया था, जिसके लिए उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था और मुकदमा दायर करने वाले पूर्णेश मोदी को सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त एक संदेश से इसके बारे में पता चला.
चीमा ने कहा कि अगर कोई कहता है कि पंजाबी झगड़ालू और गाली देने वाले होते हैं तो क्या मैं इसे लेकर मानहानि का केस कर सकता हूं? इस तरह के शब्द गुजराती और अन्य भाषाई-धार्मिक संघों के लिए उपयोग किए जाते हैं.
चीमा ने कहा कि उनके क्लाइंट को सिर्फ आधे घंटे में दोषी ठहरा दिया गया था. इस दौरान जज ने कहा था कि आपको सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी, बड़े ढीठ हो. आप कुछ नहीं समझे. चीमा ने कहा कि इतने कठोर शब्दों के इस्तेमाल के लिए मैं माफी मांगता हूं, लेकिन जज को गुमराह किया गया और वह काफी कठोर भी थे.
चीमा ने कोर्ट को बताया कि राहुल गांधी ने नवंबर 2019 में चौकीदार चोर है टिप्पणी के लिए माफी मांगी थी, लेकिन राहुल गांधी ने अप्रैल 2019 में मोदी सरनेम को लेकर बयान दिया था. ऐसे में जज इस तरह की टिप्पणी कैसे कर सकते हैं?