उत्तरी यूरोप के देश नॉर्वे ने रूस के 15 राजनयिकों को देश से बाहर कर दिया है। नॉर्वे के विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया कि ये लोग राजनयिक अफसर नहीं थे बल्कि खुफिया अधिकारी थे। नॉर्वे ने कहा कि ये लोग राजनयिक होने के नाम पर जासूसी कर रहे थे। नॉर्वे के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, ‘सरकार ने यह फैसला यूरोप में सुरक्षा की बदली स्थिति के मद्देनजर लिया है। इन हालातों में रूस की ओर से जासूसी का खतरा भी बढ़ गया है।’ नॉर्वे के इस फैसले से तनाव और बढ़ सकता है। इसकी वजह यह है कि नॉर्वे 31 सदस्यों वाले नाटो का सदस्य है और रूस के साथ सीमा साझा करता है।
नॉर्वे ने कहा है कि रूस के जिन लोगों को देश छोड़ने के लिए कहा गया है, उन्हें तुरंत ही यहां से निकल जाना चाहिए। नॉर्वे के विदेश मंत्री एनिकेन हुइटफेल्ट ने कहा, ‘रूस की ओर से बढ़ते खुफिया खतरे को देखते हुए यह अहम कदम उठाया गया है। इससे हम अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा कर पाएंगे।’ इस बीच मॉस्को ने नॉर्वे के ऐक्शन पर जवाब दिया है। रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम नॉर्वे के कदम पर जवाब देंगे। माना जा रहा है कि रूस अब और आक्रामक हो सकता है।
हाल ही में फिनलैंड को नाटो में एंट्री मिली है। इसके साथ ही रूस से लगती नाटो देशों की सीमा 2500 किलोमीटर लंबी हो गई है। यही नहीं एक और पड़ोसी देश स्वीडन भी नाटो में शामिल होना चाहता है और अगले कुछ दिनों में इस पर फैसला हो सकता है। बता दें कि नाटो देशों को लेकर रूस अपनी चिंता जताता रहा है। उसका कहना है कि पड़ोसी देशों को नाटो में लेकर अमेरिका उसकी सुरक्षा को खतरा पैदा कर रहा है। दरअसल नाटो के नियमों के मुताबिक किसी भी सदस्य देश पर हमले की स्थिति में सभी मिलकर जवाब देते हैं। यही रूस के लिए चिंता का सबब है और पड़ोसी देशों के माध्यम से रूस की सीमाओं तक नाटो पहुंच गया है और खतरनाक हथियारों की तैनाती की है।