चीन की घटती आबादी से क्यों परेशान हुई दुनिया, जानें भारत को क्या

नई दिल्ली। कल एक रिपोर्ट सामने आयी, जिसमें कहा गया कि भारत की आबादी 142.86 करोड़ हो गयी है। इसके साथ भी चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है। वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि चीन की आबादी घटती जा रही है। इस खबर ने चीन सहित दुनिया के कई देशों को परेशान कर दिया है। वहीं, भारत इससे खुश है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि सस्ती लेबर के कारण तेजी से तरक्की होगी। चीन पर घटती जनसंख्या के असर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ड्रैगन ने इस रिपोर्ट को तवज्जो नहीं दिया और कहा कि उसके पास अब भी 90 करोड़ से अधिक लोगों का गुणवत्ता वाला मानव संसाधन है जो तेज गति से विकास कर सकता है।

आपको बता दें कि चीन में वर्षों पहले एक बच्चे की नीति अपनाई गई। असके बाद चीन की आबादी लगातार कम हो रही है। चीन की घटती आबादी का असर वहां की घरेलू अर्थव्यवस्था पर तो दिख ही रही है, बल्कि वैश्विक स्तर भी पर भी इसका प्रभाव पड़ने की संभावना है। यही कारण है कि दुनिया भर के अर्थशास्त्री इससे चिंतित हैं।

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के ताजा आंकड़ों के अनुसार 142.86 करोड़ आबादी के साथ भारत ने इस मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है और सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है। चीन की आबादी 142.57 करोड़ है और वह दुनिया का दूसरा, सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश हो गया है।

रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, ”जब किसी देश के जनसांख्यिकीय लाभांश का आकलन किया जाता है तो हमें केवल जनसंख्या के आकार पर नहीं बल्कि उसकी जनसंख्या की गुणवत्ता को भी देखना होता है।” उन्होंने आगे कहा, ”आकार मायने रखता है, लेकिन ज्यादा मायने प्रतिभा संसाधन रखते हैं। चीन की 1.4 अरब आबादी में काम करने की आयु वाले लोगों की संख्या 90 करोड़ के करीब है और आबादी का यह हिस्सा औसत 10.5 वर्ष पढ़ाई करने वाला है।”

चीन की घटनी आबादी से क्यों परेशान हुई दुनिया
चीनी विदेश मंत्रालय के बयान में जंनसंख्या घटने को लेकर चिंता साफ झलक रही है। आपको बता दें कि वर्षों तक चीन में बड़े पैमाने पर कामकाजी उम्र की आबादी रही है। इसी के बल पर ड्रैगन ने दुनिया में तेजी से विकास किया। सस्ते लेबर के दम पर दुनिया भर में निर्यात किए जाने वाले सामानों का उत्पादन किया। अब जब यहां की जनसंख्या घट रही है तो चीन के बाहर के उपभोक्ताओं के लिए लागत बढ़ सकती है। संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में महंगाई बढ़ने की संभावना अधिक है। इसके सबसे बड़ा कारण यह है कि अमेरिका भी चीनी आयात वाले सामान पर बहुत अधिक निर्भर है।

चीन से कारोबार समेटने की शुरुआत बहुत पहले ही हो चुकी है। एप्पल और नाइके जासी कंपनी अपना कोराबर चीन में समेटने की शुरुआत कर चुकी है। चीनी की घटती जनंसख्या दुनिया के बाजार के लिए बुरी खबर है। इस बीच चीन जनसंख्या को बढ़ावा देने के लिए नियमों में ढील देने के लिए तैयार नहीं है।

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