जयपुरTue, 25 Apr 2023 09:24 AM
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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने धुर विरोधी सचिन पायलट के सवालों पर चुप्पी साधे हुए है। जबकि सचिन पायलट लगातार हमलावर है। गहलोत ने सियासी नरेटिव पर कहा है- मीडिया आपस में हम लोगों को किसी से नहीं लड़वाए। हम चुनाव जीतकर आएंगे। जनता ने पूरी तरह से मूड बना लिया है। इस बार सरकार रिपीट होने जा रही है। राजधानी जयपुर में मीडिया से बात करते हुए सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि महंगाई राहत शिविरों से जनता को फायदा मिलेगा। राजनीतिक विश्लेषक गहलोत के दिल्ली दौरे के बाद बयान को सियासी टर्न के तौर पर देख रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गहलोत चाहते हैं कि पायलट की बयानबाजी उन्हीं पर भारी पड़ जाए। पायलट पार्टी आलाकमान की नजर में खलनायक बन जाए। इसलिए गहलोत सधी हुई रणनीति के तहत पायलट के सवालों का जवाब देने से बच रहे हैं। जबकि सचिन पायलट लगातार उकसावे वाली बयानबाजी कर रहे हैं। पायलट निर्णायक लड़ाई के दौर में है। जबकि गहलोत बचाव मुद्रा में दिखाई दे रहे है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सीएम अशोक गहलोत सचिन पायलट को कोई जवाब नहीं देकर पार्टी हाईकमान और जनता के बीच यह दिखाना चाहते हैं कि उनका ध्यान केवल गवर्नेंस और चुनाव की तैयारियों पर है। इसीलिए उन्होंने पायलट के अनशन के बाद से जब भी कोई सवाल पूछा गया तो जवाब आया- महंगाई राहत। गहलोत सियासी रणनीति के तहत पायलट मुद्दे पर नहीं बोलना चाहते। अब आज के बयान का टोन इस तरह का है जैसे गहलोत विवाद की जगह एकजुटता का मैसेज देना चाह रहे हों। बता दें राजस्थान की राजनीति में सीएम गहलोत ने पायलट के बयान के बाद पलटवार करते रहे है। लेकिन इस बार गहलोत ने पलटवार नहीं किया है। राजनीति विश्लेषक गहलोत की चुप्पी के अलग-अलग सियासी मायने निकाल रहे हैं। दरअसल, गहलोत चाहते है कि पायलट बयानबाजी करें ताकि कांग्रेस आलाकमान उन पर कार्रवाई करने के लिए मजबूर हो जाए।
उल्लेखनीय है कि सचिन पायलट ने वसुंधरा सरकार के समय हुए करप्शन पर कार्रवाई नहीं करने पर सीएम अशोक गहलोत को निशाने पर लिया था। सचिन पायलट ने कहा कि अनशन करने के बावजूद भी उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों का समाधान नहीं हुआ है। बता दें इससे पहले सचिन पायलट ने राजधानी जयपुर में अनशन किया था। हालांकि, पार्टी आलाकमान ने पायलट के अनशन को पार्टी विरोधी गतिविधि माना। प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि पायलट का अनशन पार्टी विरोधी है। पायलट के अनशन के लेकर दिल्ली में कांग्रेस नेताओं के बीच अहम बैठक भी हुई। लेकिन राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बाद पायलट के खिलाफ कार्रवाई को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है। गहलोत कैंप के विधायकों का कहना है कि सचिन पायलट चुनाव से पहले पुराने मुद्दे उठाकर दबाव बनाने की रणनीति बना रहे हैं। पार्टी आलाकमान के संज्ञान में सबकुछ है। पीपीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा का कहन है कि सचिन पायलट के का मामला प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, केसी वेणुगोपाल और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संज्ञान में है। पार्टी आलाकमान को ही निर्णय लेना है। मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता हूं।