उज्ज्वल शुक्ला, इंदौर। इन दिनों पूरे प्रदेश में धार्मिक कथाओं और यात्राओं का जोर है। कई नेता इसी सहारे राजनीति चमकाने में लगे हैं। इंदौर में धार्मिक यात्रा करवाने के मामले में विधानसभा क्षेत्र क्रमांक एक से कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला का नाम आगे रहता है। दो नंबर के विधायक रमेश मेंदोला और समाजसेवी कमलेश खंडेलवाल भी बीच-बीच में ऐसे आयोजन करवाते रहते हैं। अब इस कड़ी में शिक्षाविद् अक्षय बंम का नाम भी शामिल हो गया है। वे विधानसभा चार के वार्ड 66 के लोगों को ओंकारेश्वर यात्रा पर ले जा रहे हैं। इस बहाने वे वाकई सेवा कर रहे हैं या सियासत, यह वक्त बताएगा, पर इस बहाने लोगों को धार्मिक यात्रा का आनंद तो मिल ही रहा है। वैसे बता दें कि अक्षय कुछ दिनों से इंदौर की अयोध्या कहे जाने वाली विधानसभा चार में खासे सक्रिय हैं।
इतनी जल्दबाजी में क्यों रहते हैं शंकर भिया?
कोरोनाकाल में सबसे सक्रिय सांसद का तमगा पा चुके शंकर लालवानी इन दिनों फिर चर्चा में हैं। दरअसल, हमारे शंकर भैया ने 24 अप्रैल से इंदौर-रीवा वंदे भारत ट्रेन चलवा दी थी, इसका पत्र भी उन्होंने खूब प्रसारित करवाया था। खैर ये ट्रेन तो अब तक नहीं चली, लेकिन सांसद जी की चर्चा दिल्ली तक चल गई। वैसे ये पहला मौका नहीं है, जब लालवानी के चर्चे दिल्ली तक हुए हों। इससे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री का एक फोटो फेसबुक पर शेयर किया था, जिसे वे उज्जैन का फोटो बता रहे थे, जबकि वह फोटो गुजरात का था। इससे भी उनकी जमकर किरकिरी हुई थी। इसी तरह इंदौर की रीढ़ बन चुके शास्त्री ब्रिज को तोड़कर फिर बनवाने के मामले में भी वे जल्दबाजी में दिखे थे। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मजमा लूटने के चक्कर में शंकर भिया हर मामले में जल्दबाजी दिखाते हैं और कई बार मुंह की खा जाते हैं।
कला व संगीत के संगम ने बिगाड़े ‘पेलवान’ के सुर
बीते दिनों इंदौर के प्रीतमलाल दुआ सभागृह में एक अलग ही तरह का संगम देखने को मिला। सभागृह की कला वीथिका में वंदिता श्रीवास्तव की कला प्रदर्शनी लगी थी, वहीं सामने आडिटोरियम में संगीत का कार्यक्रम चल रहा था। कला प्रदर्शनी का उद्घाटन जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट व पूर्व आइएएस तथा लेखक मनोज श्रीवास्तव ने किया। इस दौरान हुआ यूं कि तुलसी पेलवान के भाषण के दौरान आडिटोरियम का दरवाजा बार-बार खुल रहा था। जैसे ही दरवाजा खुलता, संगीत की तेज आवाज आने लगती। इससे भाषण का मजा किरकिरा हो रहा था। अंतत: संगीत कार्यक्रम के आयोजकों से सहयोग का आग्रह करना पड़ा, तब जाकर भाषण पूरा हो सका।
लाख जतन के बाद भी नहीं हो पा रहे निर्विरोध चुनाव
हर समाज अपने सामजिक चुनावों में प्रयास करता है कि वे बगैर किसी विवाद के िनपट जाएं। माहेश्वरी समाज भी अपने चुनाव में यही प्रयास करता है, मगर ऐसा हो नहीं पाता। अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महासभा के चारों प्रमुख पद सभापति, महामंत्री, अर्थमंत्री एवं संगठन मंत्री के चुनाव निर्विरोध हो चुके हैं, लेकिन पश्चिमी मध्य प्रदेश के चुनाव में फिर दो पैनल आमने-सामने आ गई हैं। वैसे भी पश्चिमी मध्य प्रदेश माहेश्वरी समाज पूरे देश में जाना जाता है। यहां बहुत अच्छे काम तो होते ही हैं, मगर हर तरह के चुनाव भी यहां धूमधाम से लड़े जाते हैं। यहां पर अखिल भारतीय स्तर से लाख कोशिश की गई, मगर चुनाव निर्विरोध नहीं हो पाए हैं। वे लोग भी चुनाव मैदान में हैं, जो पिछले सत्र में समाज को कुछ नहीं दे पाए। इस बात की चर्चा देशभर के समाजजन कर रहे हैं कि इंदौर के माहेश्वरी समाज को आखिर कौन-सा रोग लग गया है?