रायपुर. प्रदेश में मौसम के तेवर लगातार बदलने के कारण बिजली की खपत का ग्राफ भी लगातार गिर रहा है। अप्रैल में एक नहीं, बल्कि दो से तीन बार खपत का नया रिकॉर्ड बना है। पहले खपत 55 सौ मेगावाट के पार गई। इसके बाद 57 सौ मेगावाट का नया रिकॉर्ड बना और फिर यह रिकॉर्ड भी टूट गया और खपत का नया रिकॉर्ड 5878 मेगावाट का बना। इसी माह मौसम बदलने पर खपत अचानक गिरकर 3035 मेगावाट तक आ गई। मौसम के कारण एक दिन पहले शनिवार को खपत चार हजार मेगावाट रही, यानी मौसम के कारण खपत 18 से 28 सौ मेगावाट तक कम हो चुकी है।
प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से मौसम का मिजाज बदल गया है। इसका असर बिजली की खपत पर भी पड़ रहा है। लगातार गर्मी के कारण बिजली की खपत अप्रैल में आसमान पर चली गई थी। संभावना यह नजर आ रही थी कि इसी माह खपत छह हजार मेगावाट पार कर जाएगी, लेकिन माह के अंतिम सप्ताह में मौसम के कारण खपत का ग्राफ लगातार गिर रहा है।
सेंट्रल सेक्टर का सहारा
छत्तीसगढ़ राज्य उत्पादन कंपनी के कोरबा और मड़वा के संयंत्रों को मिलाकर अपना उत्पादन 25 से 26 सौ मेगावाट हो रहा है। खपत लगातार 55 सौ मेगावाट के पार है। सेंट्रल सेक्टर से रोज करीब तीन हजार मेगावाट बिजली ले रहे हैं। सेंट्रल सेक्टर से बिजली लेने के लिए एक दिन पहले शेड्यूल करना पड़ता है। ऐसे में मौसम की मार से खपत कम होने पर बची बिजली को लेकर कंपनी को परेशानी होती है। कंपनी को बिजली वापस करने पर भी नुकसान होता है। बिजली को बेचने का भी प्रयास रहता है, लेकिन तत्काल में खरीदार नहीं मिल पाते हैं।
एसी-पंपों का लोड ज्यादा
गर्मी के समय में सबसे ज्यादा लोड एसी और कृषि पंपों का रहता है। जब भी मौसम की मार पड़ती है तो इनका लोड कम होने के कारण खपत 25 से 30 फीसदी तक अचानक कम हो जाती है। कई बार खपत 40 फीसदी से भी ज्यादा कम हो जाती है। जैसे अप्रैल माह में हुई खपत 59 सौ से सीधे तीन हजार मेगावाट पर आ गई।