रायपुर। फर्जी डाक्टर व फार्मासिस्टों के लिए छत्तीसगढ़ साफ्ट टारगेट बन गया है, जहां फर्जी दस्तावेजों के माध्यम धड़ल्ले से पंजीयन करा ले रहे हैं। कमजोर सिस्टम की वजह फर्जी पंजीयन कराने वाले दूसरे प्रदेश के लोग की पहली पसंद है, जिसमें सर्वाधिक ओडिशा, झारखंड, बिहार, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरला, आंध्रप्रदेश व अन्य राज्यों के लोग सामने आ रहे हैं। पंजीयन के बाद बगैर रोकटोक ऐसे लोग प्रदेश में ना सिर्फ धड़ल्ले से निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं, बल्कि अस्पताल तक खोल चुके हैं। पहले तो इनके दस्तावेजों की सही जांच नहीं की जा रही है।
मामला सामने आने के बाद जिला स्तर पर ही सांठगांठ कर मामला दबा दिया जाता है। छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल, स्टेट फार्मेसी काउंसिल, छत्तीसगढ़ आयुर्वेदिक चिकित्सा बोर्ड में नईदुनिया ने सैकड़ों फर्जी पंजीयन के मामले उजागर हुए। लेकिन कार्रवाई की बजाय फाइलें बंद कर दी गई। या मामला दबा दिया गया।
छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल में काउंसिल में पंजीयन को लेकर उदासीन रवैया रहा। एलोपैथी चिकित्सकों का पंजीयन होता है। लेकिन दुर्ग, दंतेवाड़ा व अन्य क्षेत्रों में कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर पंजीयन के मामले सामने आए। बड़े पैमाने पर फर्जी पंजीयन की आशंका को लेकर सीबीआइ ने काउंसिल में कई दस्तावेज जब्त किए। जांच के बीच शिफ्टिंग के दौरान पंजीयन से जुड़े कई दस्तावेज गायाब हैं। जांच हुई तो बड़े पैमाने पर फर्जी डाक्टर सामने आएंगे। रजिस्ट्रार डा. खेमराज सोनवानी का कहना है कि कुछ फर्जी मामले सामने आए थे। जिसकी जांच चल रही है। पंजीयन के लिए आने पर दस्तावेज परीक्षण उपरांत ही पंजीकृत किया जा रहा है।
आयुर्वेदिक व होम्योपैथी में खुले फर्जी मामले
छत्तीसगढ़ आयुर्वेदिक व यूनानी चिकित्सा पद्धति बोर्ड एवं प्राकृतिक चिकित्सा बोर्ड में रजिस्ट्रार ने जांच में कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर आयुर्वेदिक व होम्योपैथी चिकित्सकों की पोल खोली थी। इसमें 20 से अधिक मामलों में पंजीयन रद कर कार्रवाई की गई, जिसमें से अधिकांश लोग दूसरे राज्यों से थे। वहीं पुलिस में मामले को दिया गया। फर्जी पंजीयन को लेकर लगातार जांच चल रही है। रजिस्ट्रार डा. संजय शुक्ला का कहना है कि जांच में फर्जी आयुर्वेदिक व होम्योपैथी चिकित्सकों के मामले खुले थे। हमने पंजीयन निरस्त किया। पुलिस कार्रवाई भी हुई। अन्य मामलों में कार्रवाई जारी है।
प्रदेश में दुर्ग, रायपुर, कोरबा, जांजगीर चांपा, राजनांदगांव, बिलासपुर समेत अन्य जिलों में ऐसे कई फिजियोथेरेपिस्ट प्रैक्टिस कर रहे हैं, जिनकी ना सिर्फ पंजीयन ही नहीं बल्कि डिग्री संदेहास्पद है। बकायदा क्लीनिक खोलकर अलग-अलग पद्धति फिजियोथेरेपी कर रहे हैं। इसकी शिकायत लगातार हो रही है। लेकिन जिला स्तर पर यह मामला दबा दिया जा रहा है। जांच नहीं की जा रही है। रजिस्ट्रार डा. जितेंद्र तिवारी का कहना है कि फर्जी पंजीयन की शिकायत होगी तो हम कार्रवाई करेंगे। प्रैक्टिस का सवाल है तो उसकी जांच जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जाना है।
छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पांच हजार से अधिक लोगों का फर्जी पंजीयन है। वहीं धड़ल्ले से आज भी फर्जी पंजीयन कराए जा रहे हैं। मामला सामने आने के बाद अब तक 50 से अधिक पंजीयन रद किए गए हैं। वहीं कुछ गिरफ्तारी हुई है। काउंसिल के अधिकारियों द्वारा फर्जीवाड़े को लेकर पुलिस में लिखित शिकायत की थी। बड़े पैमाने पर हुए फर्जी पंजीयन के मामले की जांच अब तक नहीं हो पाई। रजिस्ट्रार डा. शेखर वर्मा फर्जी पंजीयन मामले में 40 से अधिक गिरफ्तारी हुई है। फर्जीवाड़े की जांच जल्द पूरी होगी। हम पूरा सिस्टम आनलाइन करने वाले हैं।