रायपुर. छत्तीसगढ़ में आरक्षण विधेयक काे लेकर लंबे समय से राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच में टकराव चल रहा है। ऐसे समय में महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस ने कहा, आज राज्यों में अलग-अलग पार्टियों की सरकार हैं। यही वजह है सरकार और राजभवन के बीच में कई राज्य में टकराव की स्थिति हाे जाती है। सरकारों की अपनी अपेक्षाएं होती हैं, लेकिन राज्यपाल संविधान से बंधे होते हैं। जो संविधान कहेगा उसके अनुसार राज्यपाल को काम करते हैं। लेकिन दबाव में आकर जल्दबाजी करने को कहा जाए तो अनुचित है।
रमेश बैस ने छत्तीसगढ़ सहित कई स्टेट में कुछ जरूरी बिल राजभवन में अटके होने के राज्यपाल के अधिकारों की समीक्षा उठ रही मांग पर कहा, पहले हर राज्य में एक ही पार्टी की सरकार होती थी, जिसके कारण विवाद की स्थिति नहीं होती थी। अब अनेक राज्यों में अलग-अलग पार्टियों की सरकारें हैं। उन्होंने कहा, अगर राज्यपाल के पास कोई बिल भेजा जाए तो समय निर्धारित के लिए प्रावधान नहीं है। कई राज्यों में राज्यपाल और सरकार के बीच टकराव हो रहा है। टकराव के कारण देरी हो रही है। जब राज्यपाल संविधान से बंधा है तो संवैधानिक स्थिति को देखते हुए निर्णय लेंगे। आज मैं जहां हूं, वहां भी संविधान की रक्षा करने के लिए कार्य करता रहूंगा।
धर्म के प्रति बढ़ी आस्था
राज्य और और देश की राजनीति में भगवान राम के बाद हनुमान जी की एंट्री पर, उन्होंने कहा, देश राममय शुरू से रहा है। कुछ समय पहले लगता था कि लोगों के मन में धर्म के प्रति आस्था कम हो रही है, लेकिन कुछ समय से देश में ऐसा माहौल बना हुआ है कि लोगों की धर्म के प्रति आस्था बढ़ी है। हर व्यक्ति अपने धर्म को मानने के लिए स्वतंत्र है। कई लोग इसे गलत अर्थ में बयानबाजी करते हैं।
राजनीति में वापस पार्टी तय करेगी
श्री बैस ने राजनीतिक में वापसी के सवाल पर कहा, कोई भी ऊपर जाने के बाद नीचे नहीं उतरना चाहता। मेरे लिए हाईकमान जो भी निर्णय लेगा वह उचित होगा। पार्टी ने हमेशा मुझे सहयोग किया, सम्मान दिया। एक गांव का लड़का आज महाराष्ट्र में राज्यपाल के पद पर आसीन है।