रायपुर. को राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक, सदस्य डॉ. अनिता रावटे, अर्चना उपाध्याय एवं बालो बघेल ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणों पर जनसुनवाई की। छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 173 वीं जन सुनवाई हुई। रायपुर की आज की जनसुनवाई में कुल 29 प्रकरण सुनवाई हेतु रखे गये थे।
आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में दोनों पक्ष पिछले 4 सालों से अलग रह रहे हैं जिनके तीन बच्चे हैं बच्चों का खर्च आवेदिका स्वयं वहन कर रही है अनावेदक द्वारा बच्चे के भरण-पोषण बाबत कोई भी राशि नहीं दिया जा रहा है। आवेदिका ने सुनवाई के दौरान यह मांग रखी है कि भाटापारा में जो मकान है उसमें बच्चों का नाम भी जोड़ा जाए और इसके लिए अनावेदक तैयार है आयोग द्वारा आने वाले सोमवार को मकान का दस्तावेज लेकर आने के लिए कहा गया ताकि तीनों बच्चों के नाम पर उसकी संपत्ति में नाम चढ़ाए जाने की प्रक्रिया कराई जा सके। आयोग की समझाइश के बाद अनावेदक ने आवेदिका को बच्चों के भरण पोषण के लिए प्रतिमाह 4500 रुपए देना स्वीकार किया।
अन्य प्रकरण में रायपुर एम्स में हाउसकीपिंग के काम का टेंडर लेने वाली कंपनी एम.जे. सोलंकी के मालिक को सुनवाई हेतु उपस्थित होने के लिए कहा गया था जो कि अनुपस्थित है जिसमें अनावेदक क्रमांक 1 व 2 ने 2 दिन का समय मांगा है और मालिक एम.जे सोलंकी से बात कर आयोग में सूचित करने की बात कही है ताकि उनके खिलाफ सभी प्रकरण एक दिन ही सुनवाई में रखे जा सके। इसी से जुड़े हुए एक और अन्य प्रकरण में आवेदिका ने एम.जे. सोलंकी कंपनी के सुपरवाइजर के ऊपर कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत किया है।
अन्य प्रकरण में दोनों पक्षों को काउंसलिंग किया गया अनावेदक पुलिस आरक्षक साथ में रहने के तैयार नहीं शादी का आधा समान अनावेदक ने आवेदिका को वापस किया है अनावेदक का वेतन 36000 है जिसमें से 14000 लोन में कट जाता है और 22000 मिलता है। अनावेदक अपनी तनख्वा बताने के लिए आयोग को गुमराह किया गया इस स्तर पर एस.पी. रायपुर को एक पत्र प्रेषित किया जाए कि अनावेदक के वेतन का 50% राशि सीधे आवेदिका के बैंक खाते में भेजा जाए और उनका प्रतिवेदन मंगाया जाए ताकि शासकीय सेवा में नौकरी करने वाले पुलिस अपनी नौकरी की धौंस दिखाकर पत्नी को प्रताड़ित ना करें।
अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक के विरुद्ध शारीरिक शोषण की शिकायत दर्ज कराई थी अनावेदक शासकीय सेवा में कार्यरत है और जानबूझकर आवेदिका का शोषण करता रहा और अब बचने के प्रयास कर रहा है ऐसी दशा में आवेदिका, अनावेदक के विरुद्ध बिलासपुर क्षेत्राधिकार थाने में जाकर एफ.आई.आर. दर्ज करा सकती है इस निर्देश के साथ प्रकरण आयोग से नस्तीबध्द किया जाता है।