जांजगीर-चांपा. छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य श्रीमती अर्चना उपाध्याय ने आज कलेक्टोरेट कार्यालय के सभाकक्ष में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणोें पर जनसुनवाई की। छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज प्रदेश स्तर की 176 वीं और जिले स्तर की 6वीं जन सुनवाई हुई। जांजगीर-चांपा जिले में आयोजित आज की जनसुनवाई में कुल 40 प्रकरणों पर सुनवाई की गई। आज आयोजित जन सुनवाई में महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने महिलाओं से अपील करते हुए कहा कि महिलाएं ढोंगी साधुओं के प्रभाव में आकर अपना घर और भविष्य बर्बाद न करें।
आज के सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में उभयपक्ष ने बताया कि चांदीपहाड़ गौशाला के साधू के खिलाफ आवेदिका ने 376 की रिपोर्ट दर्ज करायी। इस साधु की वजह से उभयपक्ष के बीच मन मुटाव हुआ था और सखी सेंटर की पहल से एफआईआर दर्ज हुई थी तथा सखी सेंटर की काउंसलिंग की वजह से समझौते के साथ-साथ रहने को तैयार हुए। आज दोनों ने स्वीकार किया कि एक दूसरे के विरूद्ध कोई शिकायत नहीं है। अतः प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। सखी संेटर को 376 की प्रकरण की जानकारी लेकर आयोग को जानकारी देने कहा गया।
एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसने पिछले वर्ष शिकायत दर्ज करायी थी। 27 सितम्बर 2022 को अनावेदक और परिवार के विरूद्ध धारा 498 ए का रिपोर्ट दर्ज करा दिया गया। जिस पर दोनो पक्षो को समझाईश दिया गया कि एकमुश्त भरणपोषण राशि के एवज में आपसी राजीनामा के बाद तलाक पर दोनों पक्ष आवश्यकतानुसार सखी सेंटर केन्द्र प्रशासक जांजगीर से मदद ले लें। क्योंकि पुलिस थाना में एफआईआर दर्ज हो चुकी है । अतः प्रकरण आयोग में सुनवाई किया जाना संभव नहीं होंगे। योग्य नही होने के कारण प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में उभयपक्ष उपस्थित दोनो पक्ष के बीच सुलहनामा हो चुका है। दोनों जनवरी 2022 से एक साथ रह रहा है। समझौते नामे के आधार पर प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में उभयपक्ष उपस्थित आवेदिका ने बताया कि उसके पति के मृत्यु के बाद अनावेदकगण ने उसे घर से निकाल दिया है। ग्राम तरौद में उसके पति का होलसेल किराना दुकान है । उसके 2 बच्चे है और ना ही भरण पोषण के लिए कोई राशि दिया है। आवेदिका के पति के होलसेल किराना दुकान ग्राम तरौद में है जिसमें महिने के 25 से 30 लाख रूपये की बिक्री होती है। लगभग 4 एकड़ जमीन और 50 लाख का मकान है इसके बावजूद आवेदिका को अनावेदकगण के द्वारा कोई भी राशि नहीं दिया जा रहा है। आवेदिका के दो बच्चे 13 और 11 वर्ष के है जो पिछले 10 साल से आवेदिका दोनों बच्चों के साथ अकेले भरण पोषण कर रहे है। अनावेदकगण ने बताया कि आवेदिका के पति केे पहली पत्नी के एक बेटी है जो वर्तमान में 19 वर्ष की है जिसका पालन पोषण अनावेदकगण कर रहे है। खेती की जमीन पर आवेदिका के मृत पति के स्थान पर आवेदिका का नाम चढ़वा दिया गया है। दुकान पर अनावेदक अकेले काम कर रहा है और आवेदिका के पति जीवन काल में काम करते थे। उसकी मृत्यु पश्चात आवेदिका और उसके बच्चें का नाम दुकान में नहीं किया गया है और हिस्सा नहीं दिया है। उभय पक्ष को विस्तार से आयोग की ओर रिपोर्ट देने के लिए एक कमेटी बनाया गया है जिसमें सदस्य अर्चना उपाध्याय, आयोग के वकील श्री अखिलेष कुमार और केन्द्र प्रशासक एच.निशा खान तीनों आज ही शाम को उभयपक्ष के साथ ग्राम तरौद में जाकर स्थल निरीक्षण कर किराना दुकान और घर मकान की फोटों लेकर तथा आवेदिका की आलमारी का अवलोकन कर उपस्थित होंगे और रिपोर्ट आयोग के सुनवाई के दौरान प्रस्तुत करेंगें। उभय पक्ष के साथ जांजगीर पुलिस – महिला प्रधान आरक्षक मंजू सिंह कमेटी के साथ जायेंगी।
आवेदिका ने बताया कि नर्सिंग में प्रवेश के समय अनावेदक पक्ष द्वारा यह कहा गया था कि बैंक से लोन करा दिया जायेगा। लेकिन 1 वर्ष बाद अपनी बात से मुकर गये। आवेदिका 2016 से नर्सिंग पास कर चुकी है और आज तक मार्कशीट और दस्तावेज नहीं दिये जाने के कारण वह काम करने में असमर्थ है। फिर भी वह एकमुश्त 50 हजार राशि देने को तैयार है। अनावेदक पक्ष को निर्देशित किया गया कि वह आवेदिका के मार्कशीट तथा सभी दस्तावेज लेकर 2 जून 2023 को रायगढ़ सुनवाई में उपस्थित हो।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका का अनावेदक से एक बेटा है जिसकी उम्र लगभग 07 वर्ष है। जांजगीर जिले के कापन अस्पताल में लैब टेक्नीशियन के पद पर है जिसका मासिक वेतन 40 हजार है उसके द्वारा लगातार आयोग के समक्ष झूठे कथन किये गये कि उसे आवेदिका द्वारा झूठा फंसाया जा रहा है। लेकिन पूछताछ के दौरान यह पाया गया कि आवेदिका के बच्चे की डिलीव्हरी अकलतरा स्वास्थ्य विभाग में अनावेदक ने ही करवाया था और आवेदिका के द्वारा बच्चे के जन्म के पूर्व धारा 376 की एफआईआर थाना अकलतरा में दर्ज कराया था। इसके बाद अनावेदक ने आवेदिका को फिर बहला-फुसलाकर समझौता करने को कही और अपने साथ रखने ले गया था और अदालत में बयान बदलवाकर समझौता किया था। उसके बाद अस्पताल में बच्चे का जन्म कराया था उसके बाद आवेदिका के साथ रहना बंद कर दिया और फिर तीसरी औरत लाया और उसे भी छोड़ दिया है आवेदिका ने बताया कि उसने अपने सर्विस बुक में आवेदिका के बच्चे का नाम नहीं चढ़ाया है अपने बहन का नाम चढ़ाया है। इस स्तर पर आवेदिका ने कहा कि अनावेदक शासकीय अभिलेख में आवेदिका के बेटे का नाम बेटे के रूप दर्ज कराया जाये और अनावेदक के वेतन से प्रति माह 1/4 भाग आवेदिका के पुत्र को सीधा बैंक खाता में दिया जाए। इस स्तर पर अनावेदक ने कहा कि उसे वैज्ञानिक प्रमाण से स्पष्ट कराना है कि आवेदिका के बेटा उसका बेटा है यह प्रमाणित हो जाने कि दशा में वह केवल बेटा को अपने साथ रखेगा और सरकारी रिकार्ड में उसका नाम चढ़ायेगा और अनावेदिका को इसलिए नहीं रखेगा क्योकि उससे लड़ाई झगड़ा होता है। वह आवेदिका और उसके बेटे का डीएनए टेस्ट और शासकीय खर्च, आने-जाने का पूरा खर्च वहन करने को तैयार है। पैसा व्यवस्था करने में चार महिने का समय लगेगा। तब तक वह अपने बेटे को प्रति माह भरण पोषण का खर्च देगा तथा डीएनए टेस्ट कराने के लिए रायपुर आने जाने के लिए आवेदिका पक्ष का समस्त खर्च स्वयं वहन करेगा। आज आयोग में की गई समस्त कार्यवाही की प्रमाणित प्रति अनावेदक के विभागाध्यक्ष सीएमएचओ जांजगीर को भी भेजा जायेगा और समस्त दस्तावेजों की प्रमाणित प्रति मंगायी जाये और उन्हें यह भी सूचित किया जाये कि अनावेदक का डीएनए टेस्ट कराने की प्रक्रिया विभागीय तौर पर प्रारंभ करने का पत्र भी प्रेषित करें। जिसमें आवेदिका और उसके बेटे का नाम भी उल्लेखित करें। समस्त कार्यवाही की जानकारी एक माह के अंदर आयोग में प्रस्तुत करें ताकि डीएनए टेस्ट की प्रक्रिया प्रारंभ की जाये। इस संपूर्ण प्रकरण में दिन प्रतिदिन की निगरानी के लिए सखी सेंटर जांजगीर की केन्द्र प्रशासिका को दी जाती है। ताकि संपूर्ण कार्यवाही पर शीघ्र कार्यवाही किया जा सके।
एक अन्य प्रकरण में दोनों पक्षों के बीच समझौते की गुंजाईश नहीं दिखी और अनावेदक ने बताया कि कुटुम्ब न्यायालय में प्रकरण दर्ज कर दी गई है। अतः इस प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। इस प्रकार आयोग की आज की सुनवाई में कुल 40 प्रकरण रखे गए थे।