Navigation Satellite: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से नए जमाने का नेविगेशन सैटेलाइट को सुबह 10:42 बजे लॉन्च किया गया। इस सैटेलाइट का नाम NVS-01 है, जिसे GSLV-F12 रॉकेट के जरिए लॉन्च पैड-2 से छोड़ा गया। बता दें कि यह सैटेलाइट 2016 में लॉन्च की गई IRNSS-1G सैटेलाइट को बदलेगा। IRNSS-1G सैटेलाइट इसरो के क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम NavIC की सातवें सैटेलाइट है। जान लें कि जब 1999 में कारगिल युद्ध के समय भारत सरकार ने पाकिस्तानी सैनिकों की स्थान पता करने के लिए अमेरिका से मदद मांगी थी, तो अमेरिका ने GPS सपोर्ट नहीं किया था। इसके बाद से ही भारत ने अपना नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम बनाने में उत्साह दिखाया था।
NVS-01 से क्या होगा फायदा?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने NVS-01 नेविगेशन उपग्रह का सफलतापूर्वक उड़ान भरी है। इस उपग्रह में, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से सेवाएं चौड़ी करने के लिए अतिरिक्त L1 बैंड सिग्नल शामिल हैं।
नेविगेशन सैटेलाइट का सफर
नवजगत भारतीय सुपरगणित नेविगेशन इंजन (NavIC) को 2006 में मंजूरी मिली थी। इसका पूरा कार्यान्वयन 2011 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद थी, लेकिन यह 2018 में ही संचालन के योग्य हो पाया। वर्तमान में इस नेटवर्क को लगातार और बेहतर बनाने का काम चल रहा है। इसरो के लिए यह एक महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि वे अंतरिक्ष क्षेत्र में कई सफलताएं प्राप्त कर चुके हैं। आज इसरो ने अपने दूसरे पीढ़ी के नेविगेशन सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया है।
NVS-01 कैसे लॉन्च हुआ ?
आपको बता दें कि नेविगेशन सैटेलाइट NVS-01 को जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल, यानी GSLV-F12 से अंतरिक्ष में भेजा गया है। यह लॉन्च श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह 10:42 बजे GSLV द्वारा किया गया है। लॉन्च के लगभग 18 मिनट बाद रॉकेट से पेलोड अलग हो गया है। यह NVS-01 सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में डिप्लॉय करेगा। इसके बाद इंजीनियर सैटेलाइट को सही ऑर्बिट में प्लेस करने के लिए ऑर्बिट-रेजिंग मैनुवर परफॉर्म करेगा।