जब वह 3 वर्ष की थी तब घर मे जल रहे चूल्हे से हताहत हो गयी जिसमे उसके शरीर के कुछ अंग और हाथ, चेहरा बुरी तरह जल गया। फिर प्रारंभ हुआ संघर्ष का दौर जिसमे दोनों जले हाथों का पूर्ण रूप से इस्तेमाल करना सीख लिया गया जिससे दैनिक क्रियाकलापों से लेकर पढ़ाई करने जैसे मुश्किल काम को सीखा गया।
10 तक ले देकर पास हुई जिसमें भी आखिर 2 परीक्षाओं में राइटर की उपलब्धता न होने के कारण बहुत मुश्किल से परीक्षा देकर पास हुई। उसके बाद पढ़ने की हिम्मत ही नही हुई। एक निजी स्कूल में सहायक के रूप में कार्य की जहाँ बच्चो के कॉपी चेक करना और आदि लेखन कार्य को देखते देखते दोबारा पढ़ना और लिखने के प्रयास सीखे। फिर 12वी उसके बाद बीए पास की फिर रोजगार के लिए दौड़ा भाग प्रारम्भ हुआ जिसमें पहले समाज कल्याण विभाग माना में संचालित मुख्यमंत्री कौशल विकास केंद्र में सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त किये। जिससे घर मे ही एक स्वरोजगार का अवसर प्राप्त हुआ। लेकिन मन था कि अच्छी नौकरी और अच्छे वेतन की थी। तब जन सामर्थय कल्याण समिति के द्वारा संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रम में 2 महीने के प्रशिक्षण के दौरान अंग्रेजी, कंप्यूटर, हिंदी,भाषा कौशल व व्यवहारात्मक कौशल सीखे उसके बाद समाज कल्याण विभाग के द्वारा उनकी नवीन कॉल सेंटर सियान हेल्पलाइन में साइट सेवर द्वारा टेलिकॉलर के रूप में इनका और इनके जैसे 4 और दिव्यांगजनो का चयन हुआ जहाँ इनको 12000 वेतन में मई से नियुक्त किया गया। आज दासमती बहुत खुश है और काम करते करते सरकारी नौकरी की भी तैयारी कर रही है। समाज कल्याण विभाग को धन्यवाद देते हुए अपने काम को पूरी तन्मयता और प्रतिबद्धता से करने के लिए आज दासमती समर्पित है।